दर्द – दर्द या पीड़ा , इसे आयुर्वेद की भाषा में शूल (Shool) कहा जाता हैं। शरीर के किसी भी अंग मांसपेशियाँ, कमर, जोड़। पेल्विस, घुटने, सर या इनमें से किसी भी भाग में दर्द हमें प्रभावित कर सकता है। दर्द के कई कारन हो सकते हैं जैसे थकान (stress), मोच (Sprain), फ्रैक्चर (Fracture), डाइबिटीस (Diabetes)। दर्द के कारणों के अनुरूप ही दर्द के निवारण के उपचार किया जा सकता हैं। आयुर्वेद में दर्द के निवारण में कई पद्धतियाँ प्रयोग की जाती हैं। स्नेहन (Lubrication), नास्य (Nasal), वामन (Vamana), विरेचन (Purgation), बस्ती (Enema), रक्त मोक्षण (Hemorrhage)। ये पद्धतियाँ दर्द के कारणों के अनुरूप प्रयोग की जाती हैं।
स्नेहन (Lubrication)- दर्द निवारण का यह प्रारंभिक तरीका हैं। इसमें आयुर्वेदिक तेल द्वारा प्रभावित अंग पर अभ्यंग (Massage) की जाती हैं तथा पंचकर्म थैरेपी की प्रयोग इसमें लाभकारी सिद्ध होता है। स्नेहन प्रक्रिया रक्तप्रवाह सुगम कर जोड़ों और मांसपेशियों की अकड़न कम कर देता हैं जो दर्द में राहत देती हैं।
स्वेदन (diapne)- इस पद्धति द्वारा गर्म पदार्थो जैसे भाप, गर्म जिससे अमा (Ama) को पतला कर तेल, गर्म वस्त्र या तौलिये द्वारा प्रभावित हिस्से पर पसीना लाया जाता है जिससे अमा को पतला कर पाचन मार्ग पर लाकर उसे शरीर से निष्कासित किया जाता हैं। शरीर में अकड़न, भारीपन के साथ वात रोगो में यह पद्धति असरदार होती है।
नास्य (Nasal)- नास्य मष्तिष्क का द्वार है। इस पद्धति में सर दर्द एवं गर्दन दर्द (Neck pain) या टान्सलेसिस (Tonsilles) को नियंत्रण किया जाता है। नासिका गुहा द्वारा जड़ी बूटिओं के तेल की बूँदे डालकर रोग (Disease) में आराम पाया जा सकता है।
वमन (Vomit)- कफ एवं पित्त के कारणों से दूषित एवं विषाक्त पदार्थो को वमन प्रक्रिया द्वारा साफ़ किया जाता है। यह शरीर की नाड़ियों (The pulse) को ठीक कर वात की गति को प्रभावित कर स्वस्थता प्रदान करता हैं। विभिन्न प्रक्रिया द्वारा वमन (Vomitting) करवाई जाती है।
विरेचन (Purgation)- औषधीय जड़ी बूटियों द्वारा मल द्वार से अमा को साफ़ कर दूषित पदार्थो का विरेचन किया जाता है। ये मुखयतः रूमेटिड (Rheumatoid),अर्थराइटिस (Arthritis) के इलाज में, जोड़ो (Joint) के दर्द एवं सूजन में राहत देता है।
रक्तमोक्षण (Hemorrhage)- वात एवं पित्त रोगो के निदान हेतू रक्त मोक्षण की सलाह दी जाती है। इस पद्धति में धातु के उपकरण, जोंक (Leech), गाय के सींग (cow horn) के द्वारा नाड़ियों के दूषित रक्त का निकास किया जाता हैं।
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दर्द होने पर क्या करें एवं क्या न करें (What to do and what not to do when you have pain) –
- दर्द होने पर आहार (Diet) के विशेष ख्याल रखें।
- रसीले फलों जैसे अंगूर (grapes), अनार (Pomegranate) के सेवन करें।
- जौ (Barley), शली (Shali), मूंग दाल (Moong dal) का अपने आहार में शामिल करें।
- पर्याप्त घूप लें।
- हींग (Asafoetida), अदरक (Ginger), एलोवेरा (Aloe vera), सरसों (Mustard) के सेवन अपने आहार में शामिल करें।
क्या न करें (what not to do) –
- गरिष्ठ भोजन से बचे।
- तैलीय खाने से बचे।
- अत्यधिक परिश्रम से बचें।
- इसके साथ नियमित व्यायाम (regular exercise) करें।
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