आयुर्वेद के अनुसार शरीर में दर्द का प्रमुख कारण अमा या विषैले पदार्थों का जमा होना बताया गया है। टांगों में दर्द के अनेक कारण हो सकते हैं जैसे गठिया या अर्थराइटिस (Arthritis), सायटिका (Sciatica), मधुमेह (diabetes) के कारण होने वाली पेरिफेरल न्यूरोपैथी (Peripheral neuropathy) तथा दुर्घटनाओं में लगने वाली चोटें। टांगों में दर्द, झनझनाहट, चुभन एवं सुन्नपन जैसी अनुभूति देता है। हड्डियों, जोड़ों (Joint), रक्तवाहिकाओं (Blood vessels) आदि में चोट टांगो के दर्द का कारण है एवं इन चोटों से घुटनों, जांघो टखनों तथा पैरों में दर्द की अनुभूति होती है।
पैरो में दर्द का कारण (Cause of Leg pain):-
- अर्थराइटिस (Arthritis):- जोड़ों में सूजन एवं दर्द को अर्थराइटिस कहते हैं। ये दो प्रकार की होती है ऑस्टियोअर्थराइटिस (Osteoarthritis) एवं रह्युमेटोइड अर्थराइटिस (Rheumatoid arthritis)। बड़े जोड़ो की हड्डियों के आपस मे घर्षण से होने वाले दर्द को ऑस्टियोअर्थराइटिस (Osteoarthritis) कहते हैं। इसका प्रमुख कारण बढ़ती उम्र होता है। रूमेटॉयड अर्थराइटिस एक ऑटोइम्युन (Autoimmune) समस्या है जो शरीर के छोटे जोडों को प्रभावित करती है| इसमे सूजन आने के कारण दर्द होता है।
- सायटिका(sciatica):- शरीर में वात की मात्रा के कारण कूल्हों के पीछे से दर्द शुरू होकर जांघों एवं घुटनों (Thighs and knees) से होता हुआ पैरो तक पहुँचता है।
- पेरिफेरलन्यूरोपैथी (Peripheralneuropathy):- इस स्थिति में तंत्रिकाओं के क्षरण से न्यूरोपथिक पैन (Neuropathic pain) होता है जिसके लक्षण चुभन एवं सुन्नपन हैं। यह बीमारी प्रायः मधुमेह रोगियों तथा शराब का अधिक सेवन करने वाले व्यक्तियों में पाई जाती है।
- प्लांटर फेशिएटिस (Plantar fasciitis):- खिलाड़ियों एवं मोटे लोगों में यह समस्या देखी जाती है। इसमें एड़ी (Heel) तथा तलवों (The soles) में सूजन एवं दर्द होता है।
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आयुर्वेदिक दवा एवं उपचार (Ayurvedic medicine and treatment):- आयुर्वेद में टांगो के दर्द से मुक्ति के लिए स्नेहन (Lubrication) एवं स्वेदन (diapne) विधि का वर्णन मिलता है।
स्नेहन (Diapne): इस विधि में दर्द से प्रभवित भागों पर अश्वगंधा (Ashwagandha) एवं चन्दन के तेल का उपयोग किया जाता है। इससे मांसपेशियों में खिंचाव तथा दर्द में राहत मिलती है।
स्वेदन (Diapne):- यह विधिवात को संतुलित करके मांसपेशियों की अकडन दूर करती है। इस विधि में भाप का प्रयोग किया जाता है तथा नीम जैसी ओषधियों द्वारा मांसपेशियों की अकडन व खिंचाव को कम कर के दर्द से राहत प्रदान की जाती है। टांगों के दर्द से मुक्ति के लिए आयुर्वेद में शुंठी (Shunthi), शालकी (Shalki), दशमूल (Dashmool) एवं निर्गुन्डी (Nirgundi) का प्रयोग किया जाता है।
शुंठी (Shunthi):- यह सूखे हुए अदरक (Ginger) का पाउडर है जिसमें एन्टीइन्फ्लामेट्री (Antiinflammatory) गुण होते हैं। शुंठी के 2 चम्मच पाउडर को शहद के साथ एक गिलास गर्म पानी मे मिलाकर पीने से, पैरों के तलवों में होने वाली जलन एवं दर्द में राहत मिलती है।
निर्गुन्डी (Nirgundi):- यह आसानी से उपलब्ध होने वाली जोड़ो के दर्द की आम दवा है। इसके उपयोग हेतु इसका तेल या इस की पत्तियों का पेस्ट पैरों पर लगाया जाता है।
दशमूल (Dashmool):- इसके नाम का अर्थ है दस जड़ें। यह एक औषधि नहीं बल्कि दस ओषधियों का मिश्रण हैं। इसके एन्टीइन्फ्लामेट्री (Antiinflammatory), एनाल्जेसिक (Analgesic), एंटीऑक्सीडेंट (Antioxidant) गुणों के कारण यह टांगो के दर्द की प्रभावी दावा है। इसका प्रयोग पाउडर के रूप में किया जाता है।
शालकी (Shalki):- इसका उपयोग जोड़ो के दर्द एवं सूजन को कम करने के लिए किया जाता है। यह तेल के रूप में प्रयुक्त की जाती है।
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