नसों में होने वाला दर्द न्यूरोपैथिक पेन (Neuropathic pain) भी कहलाता है। तंत्रिका तंत्र (the nervous system) में खराबी या तंत्रिकाओं की क्षति नसों के दर्द का कारण होता है।तंत्रिकाओं की क्षति के कई कारण हो सकते हैं जैसे दुर्घटना (Accident), संक्रमण (Infection) अथवा शल्य क्रिया (Operation)। मांसपेशियों तथा हड्डियों की चोट के कारण नसों में दर्द लम्बे समय तक बना रह सकता है।
पीठ,पेर एवं कूल्हे की चोट में कभी कभी चोट ठीक हो जाने के बाद भी नसों का दर्द बना रहता है। यह दर्द मस्तिष्क ,रीढ़ की हड्डी एवं परिधीय तंत्रिकाओं (Peripheral nerves) से उत्पन्न होता है। इस दर्द में सुन्नपन (Numbness), झनझनाहट (Sensation) एवं चुभन (Prick) जैसा दर्द अनुभव होता है। ठंड में जाने एवं किसी दबाव के कारण भी यह दर्द हो सकता है। नसों में दर्द के आयुर्वेदिक उपचार में स्वेदन (diapne), विरेचन (Purgation), नास्यकर्म (Nectar), बस्ती (Enema) आदि विधियों का प्रयोग किया जाता है। नसों के दर्द से मुक्ति के लिये आयुर्वेद में भूमि आमलकी (Bhumi Amalaki), बाला (Bala), हरिद्रा (Haridra) आदि जड़ी बूटीयों का उपयोग किया जाता है। आयुर्वेद के अनुसार वात दोष (Gout) द्वारा केन्द्रीय एवं परिधीय तंत्रिकाओं (Peripheral nerves)का नियंत्रण होता है अतः वात में ख़राबी न्यूरोपथिक पैन (Neuropathic pain) का कारण होता है।
सायटिका (Scaitica):- इस स्थिति में नसों का दर्द कूल्हों से आरम्भ होकर जांघों से होता हुआ पैरों के निचले भागो तक एक झनझनाहट एवं चुभन के रूप में पहुँच सकता है।
डायबिटिकन्यूरोपैथी (Diabetic neuropathy):-
नसों में होने वाला यह दर्द मधुमेह के रोगियों में देखा जाता है। इस स्थिति में हाथों एवं पैरों में चुभन (Prick) ,झनझनाहट (Sensation) तथा सुन्नपन (Numbness) अनुभव होता है। डायबिटीज (Diabetes) के कारण व्यक्ति को ठंडा, गर्म एवं कम्पन की अनुभूति होना बंद हो जाता है।
अनंत वात या ट्राइजेमिनलन यूरेलगिया (Anant Vata or Trigeminal Euralgia):-
चेहरे की त्वचा में ट्राइजेमिनल (Trigeminal) सें होती हैं। इस स्थिति में चेहरे की पेशियों का फड़कना तथा दर्द की अनुभूति होती है।
विसर्प दाद (Herpes zoster):-
यह त्वचा का रोग है जिसमें बुखार (Fever), जलन एवं सुन्नपन होता है।
यह भी पढ़ें :-
- मांसपेशियों में दर्द की आयुर्वेदिक दवा एवं उपचार (Ayurvedic Medicine And Treatment Of Muscle Pain)
- घुटनों के दर्द की आयुर्वेदिक दवा एवं उपचार (Ayurvedic Medicine And Treatment Of Knee Pain)
- कंधे के दर्द की आयुर्वेदिक दवा एवं उपचार (Ayurvedic Medicine And Treatment Of Shoulder Pain)
- गर्दन में दर्द का आयुर्वेदिक उपचार एवं दवा (Ayurvedic Treatment And Medicine For Neck Pain)
- जोडों के दर्द की आयुर्वेदिक दवा एवं उपचार (Ayurvedic Medicine And Treatment Of Joint Pain)
नसों के दर्द का आयुर्वेद में उपचार (Treatment of neuralgia in Ayurveda):-
स्नेहन (Lubrication):-
नासी के दर्द के निवारण में स्नेहन विधि का प्रयोग होता है। इस विधि में शरीर को भी तर से चिकना करके अमाको बाहर निकल जाता है।
स्वेदन (diapne):-
इस विधि में अमाको पाचन मार्ग में लाया जाता है तथा विरेचन (Purgation) एवं बस्ती (Enema) नामक विधियों द्वारा शरीर से बाहर निकाला जाता है। इस विधि में गर्म कपड़े, हाथों एवं धातु की वस्तुओं द्वारा पसीना लाया जाता है। नसों में दर्द का प्रमुख कारण वात होता है । इस विधि द्वारा नसों के दर्द में आराम मिलता है।
विरेचन (Purgation):-
इस विधि में दस्त लाने के लिए रेचक ओषधियों का प्रयोग किया जाता है । दाद (Ringworm)एवं सायटिका (Scaitica) के कारण होने वाले नसों के दर्द में विरेचन लाभदायक सिद्ध होता है। इन विधियों के अतिरिक्त बस्ती (Enema), कटी बस्ती एवं रक्त मोक्षण (Hemorrhage) का भी प्रयोग नसों के दर्द को शांत करने के लिए किया जाता है।
Disclaimer –This content only provides general information, including advice. It is not a substitute for qualified medical opinion by any means. Download ‘AAYUSHBHARAT App’ now for more information and consult a Aayush Specialist sitting at home as well as get medicines.
To Get Consultation Download The AAYUSH BHARAT PATIENT APP :
Click Here
Connect with AAYUSH BHARAT ON :
Twitter, Facebook, Instagram, Website, YouTube, Telegram Channel, Blog, LinkedIn, Quora, WhatsApp
0 Comments