कंधे के दर्द की आयुर्वेदिक दवा एवं उपचार

by | Nov 13, 2020 | Ayurvedic herbs and their benefits, Health Tips & Treatments

कंधे में दर्द एक सामान्य समस्या है जो कंधे के जोड़ रोटेटर कफटेंडन (Rotator cuff tendons) में क्षति के कारण होती है। कंधे के दर्द को रोटेटर कफ टेन्डीनिटिस कहते हैं। कंधे के जोड़ में आर्थ्राइटिस (Arthritis), फ्रोज़न शोल्डर (Frozen shoulder), कंधे की हड्डी के खिसकने तथा फ्रैक्चर (Fracture) के कारण भी कन्धे में दर्द हो सकता है। कंधे के दर्द से आराम के लिए आयुर्वेद में रसोनम (Garlic), अदरक (Ginger), हरिद्रा (turmeric), अश्वगंधा (Ashwagandha), बाला (Bala), दशमूल (Dashmool) एवं योगिराज गुग्गुल (Yogiraj Guggul) का उपयोग लाभकारी बताया गया है।आयुर्वेद में कंधे के दर्द के उपचार हेतु स्नेहन (Lubrication), स्वेदन (diapne), नास्यकर्म (Nasal medicine) एवं लेप विधि (Coating method) का उल्लेख मिलता है।

आमवात (Rheumatism):-

पाचन में गड़बड़ी के कारण शरीर मे विषैले पदार्थों का जमना शुरू हो जाता है, इसे अमा का जमना कहते हैं। कन्धे के जोड़ में अमा के जमा होने से कंधे का दर्द शुरू हो जाता है।

बहु काया-फ्रोजन शोल्डर (Multi body frozen shoulder):-

कंधे के जोड़ में वात के असंतुलन से कंधे को हिलाने में दर्द होता है एवं मासपेशियों (Muscles) को भी क्षति पहुंचती है।

कंधे का खिसकना (Shoulder shrug):-

कन्धे के खिसकने से कन्धे के जोड़ में असंतुलन आ जाता है जिससे वात में गड़बड़ी हो जाती है एवं दर्द होता है । इसके उपचार में सूजन रोधी (Anti inflammatory) एवं दर्द निवारक ओषधियों का उपयोग किया जाता है।

यह भी पढ़ें :-

पाचन (Digestion):-

इस विधि में पाचन को बढ़ाने वाली दवाएं दी जाती हैं। जिनसे भोजन शीघ्र पचता है एवं अपचा भोजन (Indigestion food) बाहर निकल जाता है। फ्रोज़न शोल्डर एवं आर्थ्राइटिस (Arthritis) की अवस्था मे शरीर से विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालने के लिए घी का उपयोग किया जाता है । पाचन की प्रक्रिया 7 दिनों तक चलती है ।

नास्यकर्म (Nectar):-

इस विधि में ओषधियों को तेल, पेस्ट, पाउडर या धुएं के रूप में नाक में डाला जाता है। इस विधि से आंख, कान, नाक,गले एवं कंधे की हड्डी से सम्बंधित समस्याओं में आराम मिलता है।

स्नेहन (Lubrication):-

इस प्रक्रिया में शरीर को अंदर एवं बाहर से चिकना किया जाता है। इस विधि में गर्म ओषधीय तेलों (Medicinal oils) का उपयोग किया जाता है। शरीर को घी या तेल पिला कर अंदर से चिकना किया जाता है। इसके लिए नासिका मार्ग या एनीमा (Enema) द्वारा घी शरीर में पहुँचाया जाता है।

स्वेदन (diapne):-

इस विधि में विशाक्त पदार्थों को पेट तक लाया जाता है जिस से वे शरीर के बाहर निकल सकें। इस विधि में भाप (Steam) का प्रयोग कर के पसीना लाया जाता है जिससे शरीर हल्का एवं पाचन मज़बूत होता है । कन्धे के दर्द से आराम के लिए यह एक उपयोगी विधि है।

लेप (Coating):-

इस विधि में विभिन्न ओषधीय तेलों (Medicinal Oil) का उपयोग होता है जैसे मूरिवेंना तेल (Murivenna oil) जिसमें नागवल्ली (Nagavalli) , शिशु (shishu), शतावरी (Asparagus), प्याज (Onion) एवं नारियल तेल का प्रयोग किया जाता है। मूरिवेंना तेल का प्रयोग कंधे के पास किया जाता है जिससे दर्द एवं सूजन दोनों में आराम मिलता है । चोट, घाव एवं दर्द में यह ओषधि लाभदायक सिद्ध होती है।

कंधे के दर्द में प्रयुक्त आयुर्वेदिक दवाएँ (Ayurvedic medicines used in shoulder pain):

अश्वगंधा (Ashwagandha), बाला (Bala), वदंग (Vadang), हरिद्रा (Haridra), अदरक (Ginger), लहसुन (Garlic), चक्रमर्द (Circle), अरंडी (Castor), योगिराज गुग्गुल (Yogiraj Guggul) एवं दशमूलक्वाथ (Dashmulath) का प्रयोग कंधे के दर्द से आराम देता है।

 

 

Dr Neha
Compiled By: Dr. Neha Ahuja
(BAMS, NDDY, DNHE)

 

Disclaimer –This content only provides general information, including advice. It is not a substitute for qualified medical opinion by any means. Download ‘AAYUSHBHARAT App’ now for more information and consult a Aayush Specialist sitting at home as well as get medicines.

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

To Get Consultation Download The AAYUSH BHARAT PATIENT APP :
Click Here

Connect with AAYUSH BHARAT ON :
Twitter, Facebook, Instagram, Website, YouTube, Telegram Channel, Blog, LinkedIn, Quora, WhatsApp

0 Comments

Submit a Comment

Your email address will not be published.