योनि में यीस्ट संक्रमण के कारण एवं आयुर्वेदिक उपचार

by | Nov 16, 2020 | Women diseases & Treatments

यीस्ट एक फंगस (कवक) होता है जो योनि में पाया जाता है। जब यीस्ट (Yeast) की मात्रा योनि में बढ़ जाती है तो उसे योनि में यीस्ट संक्रमण (Vaginal yeast infection) कहा जाता है। यह महिलाओं में पाया जाने वाला एकआम संक्रमण है जो महिलाओं की पूरी दिनचर्या को प्रभावित कर सकता है।

लक्षण (Symptoms):- यीस्ट संक्रमण के कारण योनि में खुजली (itching), जलन (burn), एवं दर्द की समस्या होती है। खुजली इतनी बढ़ सकती है कि महिलाओं को कहीं बाहर जाने पर असहज अनुभव हो। इस संक्रमण के कारण योनि से बदबू (Vaginal odor) आने और डिस्चार्ज की समस्या भी होती है

योनि में यीस्ट संक्रमण के प्रकार (Types of vaginal yeast infections):

बैक्टीरियल इन्फेक्शन (Bacterial infection)– इसमें एक बदबूदार तरल योनि से स्रावित होता रहता है।

ट्रिकोमोनिसिस (Trichomoniasis) हरा, पीला बदबूदार झाग जैसा तरल स्रावित होना।

कैंडिडिआसिस (Candidiasis)– योनि के पास दर्द एवं सफेद गाढ़े तरल का स्रावहोना।

जेनिटल हर्प्स (Genital herpes)– योनि के पास दर्द एवं छाले।

जेनिटल वॉर्ट्स (Genital warts) योनि के पास गांठें हो जाना।

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योनि में संक्रमण का आयुर्वेदिक उपचार (Ayurvedic treatment of vaginal infections):

योनि में यीस्ट संक्रमण के उपचार में रसोनम (लहसुन), टीट्री ऑयल, दही, नारियल का तेल आदि उपयोग में लिया जाता है।

दही (Curd):

दही योनि के ph स्तर को नियंत्रित करने में सहायक होता है। दही में लैक्टोबैसिलस (Lactobacillus) नामक बैक्टेरिया होते हैं जो पाचन तंत्र के लिए उपयोगी होते हैं साथ ही ये योनि के बुरे बैक्टेरिया को समाप्त करता है। योनि में संक्रमण से राहत पाने के लिए दही को योनि के बाहर से लगाएं एवं 2 घण्टे के बाद धोलें। संक्रमण के कारण योनि में होने वाली जलन (Burn) में आराम मिलेगा।

रसोनम (Garlic) –

योनि में संक्रमण के उपचार में लहसुन अत्यंत उपयोगी साबित होता है। लहसुन की 2/4 फांके प्रतिदिन सेवन करने से योनि के संक्रमण में आराम मिलता है। योनि में संक्रमण होने पर स्नेहन (Lubrication), स्वेदन (diapne), अभ्यंग (Abhyang) एवं पिछछू विधियों (Backward methods) द्वारा उपचार किया जाता है।

मंजिष्ठा (Manjistha)–

यह एक रक्त शोधक एवं जीवाणुरोधी ओषधि है जो कैंडिडिआसिस (Candidiasis) नामक योनि संक्रमण में लाभदायक सिद्ध होती है। इसका उपयोग काढ़े, पाउडर आदि के रूप में किया जाता है।

निम्बा (Nimba)–

यह जीवाणुरोधी होने के कारण योनि के संक्रमण में लाभदायक होती है। काढ़े (Decoction), आरक,तेल (Oil) आदि रूपों में इसका उपयोग लाभदायक होता है।

दारुहरिद्रा (Barberry–

यह जीवाणुरोधी होने के कारण यीस्ट को बढ़ने से रोकती है। इसे काढ़े,पेस्ट एवं पाउडर के रूप में प्रयोग किया जाता है। इनकेअतिरिक्त यष्टिमधु (मुलेठी)(Muleti), नागवल्ली (Nagavalli), ब्राह्मी (Brahmi) जैसी जड़ी बूटियों तथा गन्धक रसायन (Sulfur chemistry), अभ्यरिष्टम (Abhirishtram), निम्बादि योनिवर्ती (Nimbida vagina), पंचवल्कल क्वाथ (Panchvalkal decoction) ओर हिंगोरिया माणिक्य रस (Hingoria ruby ​​juice) नामक औषधियों का प्रयोग योनि के संक्रमण में लाभदायक सिद्ध होती है।

 

Dr Neha
Compiled By:
Dr. Neha Ahuja
(BAMS, NDDY, DNHE)

 

 

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