एक ही स्थिति में लगातार बने रहने, ऊपर या नीचे देखने अथवा किसी बीमारी के कारण गर्दन में होने वाले दर्द को मान्य शूल भी कहा जाता है।
लक्षण (Symptoms):-
- गर्दन की मांसपेशियों (Muscles) में अकड़न।
- सिरदर्द (Headache)।
- सिर को घुमाने में परेशानी होना।
गर्दन में दर्द के कारण (Causes of neck pain):-
- सर्वाइकल स्पांडलाइटिस (Cervical spondylitis):- वात (Vaat) एवं कफ (Kapha) दोष के कारण गर्दन की मांसपेशियों में होने वाला दर्द।
- अर्थराइटिस (Arthritis):- गठिया के सामान्य प्रकार जैसे ओस्टियो अर्थराइटिस (Osteoarthritis) एवं रूमेटॉयड अर्थराइटिस (Rheumatoid arthritis) में गर्दन के जोड़ में दर्द।
- स्लिपडिस्क (Slip disc):- इसमे कमर के निचले हिस्से में दर्द होता है जिससे गर्दन के जोड़ में भी दर्द होने लगता है। मांसपेशियों में तनाव (muscle strain), चोट लगना एवं नसों (Nerves) पर दबाव भी गर्दन दर्द का एक कारण होता है।
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गर्दन में दर्द का आयुर्वेदिक उपचार (Ayurvedic treatment of neck pain):-
आयुर्वेद में गर्दन के दर्द हेतु स्नेहन (Lubrication), स्वेदन (diapne), लेप (Coating), अभ्यंग (Abhyang) एवं बस्ती (Enema) विधियों का वर्णन मिलता है।
स्नेहन विधि (Lubrication):- इस विधि के प्रयोग से गर्दन के दर्द में आराम मिलता है। इस विधि में ओषधीय तेलो का प्रयोग किया जाता है। स्नेहन Lubrication) विधि द्वारा शरीर से अमा (Ama) को बाहर निकाला जाता है।
अभ्यंग (Abhyang):- आयुर्वेद की इस विधि में शरीर पर ओषधीय तेल लगाकर एक विशेष दिशा में मालिश (Massage) की जाती है जिससे गर्दन के दर्द में आराम मिलता है।
स्वेदन (diapne):- इस विधि में शरीर से पसीना निकाला जाता है। स्वेदन (Diaphoresis) से शरीर मे जमा अमाको बाहर निकल जाता है, जिससे अकडन एवं मासपेशियों का खिंचाव कम होता है।
लेप (Coating):- इस विधि में विभिन्न ओषधियों का लेप गर्दन के चारों तरफ किया जाता है जिससे दर्द (Pain) में राहत मिलती है तथा सूजन (Swelling) कम होती है।
नास्यकर्म (Nectar):- गर्दन के दर्द से आराम पाने के लिये इस विधि का भी उपयोग किया जाता है। नास्य कर्म में विभिन्न ओषधियों के द्रव नासा (Nose) छिद्रों द्वारा शरीर मे प्रवेश करवाये जाते हैं। इस विधि से आंख, कान, नाक एवं गले तथा गर्दन के दर्द का उपचार किया जाता है। इस विधि में प्रमुखतया पंचमूल (Panchmul), दशमूल (Dashmool), बस्ता (Basta), बेल (Vine) एवं बाला (Bala) ओषधियों का उपयोग किया जाता है।
गर्दन में दर्द से मुक्ति हेतु निम्न ओषधियों का प्रयोग किया जाता है (The following medicines are used to relieve neck pain):-
- अश्वगंधा (Ashwagandha):- यह एक दर्द निवारक एवं सूजन में कमी लाने वाली ओषधि है जो गर्दन के दर्द में प्रभावी होती है।
- गोक्षुर (Caltrop):- इसओषधि द्वारा शरीर से अमाको बाहर निकाला जाता है तथा वात के कारण होने वाले दर्द को दूर किया जाता है। इस औषधि का उपयोग का ढ़ेया पाउडर (Molded powder) के रूप में प्रयोग किया जाता है।
- रसोनम (Rasonam):- यह एक दर्द निवारक औषधि है जो सूजन कम करके दर्द का निवारण करती है।इसका प्रयोग काढ़े, पाउडर तथा अर्क के रूप में किया जाता है।
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