जब शरीर का तापमान 37′ सैल्सियस से अधिक होने पर ज़ुकाम, बदन दर्द, भूख में कमी एवं कब्ज जैसे लक्षण उत्पन्न होने लगते हैं तो इसे बुखार या ज्वर (Fever) कहा जाता है। बुखार का कारण, कोई अन्य रोग एवं कोई चोट या संक्रमण (Infection) भी हो सकता है। बुखार के उपचार में विभन्न ओषधियां एवं वमन (Vomit), विरेचन (Purgation), बस्ती कर्म (Urinary Bladder) और नास्यकर्म (Nasal Act) जैसी विधियों का भी आयुर्वेद में उल्लेख किया गया है।
वमन (Vomit)– इस विधि में औषधि के प्रयोग से उल्टी द्वारा शरीर से विषैले (Toxic) पदार्थों को बाहर निकाला जाता है।
विरेचन (Purgation)– इस प्रक्रिया में रेचक दवाओं (Laxative Drugs) के प्रयोग से मल के साथ विषैले पदार्थों का निष्कासन किया जाता है।
बस्तीकर्म (Urinary Bladder)– इस प्रक्रिया में एनिमा (Enema) द्वारा शरीर से विषैले पदार्थों का निष्कासन किया जाता है।
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नास्य कर्म (Nasal Act)– इस विधि में नाक में ओषधीय तरल डाला जाता है। इस क्रिया से सिरदर्द इस बुखार में आराम मिलता है। इसके साथ ही आयुर्वेद में बुखार के लिए गुडुची (Guduchi), आमलकी (Amalki), मुस्ता (Musta), पिपली (Peepli), वासा (Vasa),अदरक (Ginger), संजीवनी वटी (Sanjeevani Vati), सिलोपलादी (Silopladi), मृत्युंजय रस (Mritunjay Rasa) आदि जड़ी बूटियों एवं ओषधियां बताई गई हैं।
पीप्पली (Pippali)– यह कृमिनाशक (Anthelmintic) एवं वायुनाशक औषधि है जो पाचन, श्वसन, प्रजनन तंत्र पर कार्य करती है। यह बुखार के लक्षण जैसे सिरदर्द, ज़ुकाम आदि में आराम देती है।
गुडुची (Guduchi)– यह ओषधि पाचन एवं परिसंचरण तंत्र (Circulatory System) पर कार्य करती है। यह पाचन शक्ति को बढ़ाने वाली औषधि रक्त शोधन करके बुखार में आराम देती है। इसका उपयोग विशेष रूप से मलेरिया ज्वर (Malarial Fever) में किया जाता है।
वासा (Vasa)– यह ओषधि पाचन तंत्र एवं तंत्रिका तंत्र (Nervous System) पर कार्य करती है। इसके साथ ही यह मूत्रवर्द्धक (Diuretic) होने के कारण शरीर से विषैले पदार्थों को बाहर निकालने का कार्य करती है। इसके उपयोग से बुखार के नियंत्रण में मदद मिलती है।
आमलकी (Amalki)– यह ओषधि पाचन तंत्र (Digestive System), परिसंचरण तंत्र (Circulatory System) एवं उत्सर्जन तंत्र (Excretory System) पर कार्य करती है। यह शक्ति प्रदान करने वाली औषधि सभी पित्त रोगों जैसे बुखार, गठिया (Arthritis) एवं पाचन संबंधित रोगों के उपचार में सहायक सिद्ध होती है।
अदरक (Ginger)- यह पाचन एवं श्वसन तंत्र (Respiratory System) पर कार्य करती है। कफ निस्सारक (Phlegm Detector) एवं वायुनाशी होने के कारण यह दर्द को कम करती है एवं बुखार में आराम देती है।
मुस्ता (Musta)– वायुनशी, कृमिनाशक (Anthelmintic) एवं मूत्रवर्द्धक (Diuretic) होती है। इसके प्रभाव से बार-बार मूत्रआता है जिससे विषैले पदार्थ शरीर से बाहर निकल जाते हैं एवं बुखार में आराम मिलता है। इनके अतिरिक्त भूमि आमलकी (Amalki), मृत्युंजय (Mrityunjay) रस एवं संजीवनी वटी (Sanjeevani Vati) का प्रयोग भी विशेष रूप से लाभदायक होता है।
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