ओबेसिटी से बचाव के आयुर्वेदिक उपचार

by | Nov 11, 2020 | Ailment, Health Tips & Treatments

शरीर में मेद या फैट का अधिक होना स्थूलता या ओबेसिटी कहलाता है। मोटापे को आयुर्वेद मेदोरोग कहते हैं। अंग्रेजी में ओबेसिटी कहते हैं। मोटापा अन्य अनेक रोग भी साथ में लाता हैं जैसे कि श्वासावरोध (Apnoea) या अस्थमा (Asthma), ब्लड प्रेशर (Blood pressure), ह्रदय रोग (Heart disease), डायबिटीज (Diabetes)गठिया (Arthritis) रोग आदि।

चर्बी के अधिक बढ़ जाने से मनुष्य शक्तिहीन हो जाता है, जरा सा काम करने पर सांस फूलने लगती है, प्यास बुझती नहीं, निद्रा (Sleep) की अधिकता, सांस का रुकना, पसीना (sweat) अधिक आना, शरीर में बदबू होना, निर्बलता (Weakness) आदि लक्षण होते हैं। आयुर्वेद के अनुसार में मेदोवृद्धि (Growth) स्त्रोतो (शरीर के चैनल्स या मार्ग ) में अवरोध हो जाता है जिससे वात का प्रकोप (the outbreak) हो जाता है और पेट में रहकर भी यही वात अग्नि को तेज कर देता है जिससे  भोजन करने की बार-बार इच्छा होती है यदि भोजन करने में देर हो जाए तो अनेक प्रकार के दारुण रोग (Stenosis) हो जाते हैं। मोटापा शरीर को इस प्रकार ने नष्ट कर देता है जैसे जंगल में फैली आग वन को जला देती है इसलिए चर्बी बढ़ जाने के कारण वात आदि दोषों के कतिपय रोगों को उत्पन्न कर प्राणघातक होता है।

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आयुर्वेद के अनुसार ऐसे सुपरफूड  जिनका उपयोग करके हम मोटापे से बच सकते हैं तथा जो मोटे लोग हैं वह अपना वजन कम कर सकते हैं।

  1. मधु या शहद या Honey शहद को अमूमन गर्म पानी में सभी लेते हैं परंतु शहद को गर्म पानी में या गर्म करके प्रयोग करने का आयुर्वेद में निषेध है या मना है। इसे विष (Poison) के समान माना गया है। इससे अनेक प्रकार के रोग अनेक स्किन डिसीज (Skin disease) होने की संभावना रहती है। आयुर्वेद के अनुसार शहद का प्रयोग कैसे करें। शहद को गर्म करके ठंडे किए गए पानी में प्रयोग करना चाहिए। शहद को त्रिफला (Triphala) के काढ़े या फाण्ट के साथ प्रयोग करना चाहिए। त्रिफला फाण्ट कैसे बनाएं- एक गिलास गर्म उबलते हुए पानी में एक चम्मच त्रिफला डालकर रात भर के लिये ढक दें सुबह छानकर शहद मिलाकर पिए। सेहत का आयुर्वेद में गुण लेखनी माना गया
  2. त्रिफला (Triphala)- तीन फल हरड़ (harad), बहेड़ा (Baheda), आंवला (Gooseberry) का पाउडर त्रिफला होता है। आयुर्वेद के अनुसार यह मेद धातु को कम करने के लिए उत्तम औषधि मानी गई है। त्रिफला का प्रयोग आप टेबलेट के रूप में कार्य के रूप में, चूर्ण के रूप में,  फाण्ट के रूप में शहद के साथ करें। रात मे एक चम्मच त्रिफला गर्म पानी से लेने से पेट भी साफ होता है और चर्बी (Fat) भी कम होती है। इसके अलावा त्रिफला नेत्र रोगों के लिए भी बहुत अच्छा औषध है।
  3. जौ (Barley)- आयुर्वेद में  उत्तम अनाज माना गया है। यह कहा गया है जिन लोगों को मोटे से पतला होना है या जो लोग डायबिटीज (Diabetes) से पीड़ित हैं या किसी प्रकार की त्वचा रोग से पीड़ित हैं उन्हें जो उन्हें जौ के ही रोटी खाना भी चाहिए और जौ (Barley) से नहाना भी चाहिए। नहाने का मतलब है जौ  के आटे को शरीर पर मलना। जौ को आज की इंग्लिश में oats भी कहा जाता है। ये अत्यधिक फाइबर युक्त होते हैं जिसके सेवन से हमें  पेट भरा हुआ  हुआ महसूस होता है तथा बार-बार खाने का मन नहीं करता है।
  4. सत्तू ( Sattoo)- एक ऐसा आयुर्वेदिक कोल्ड्रिंक है जो कि प्रोटीन से भरपूर होता है। सत्तू बाजार में आसानी से उपलब्ध होता है। जौ और चने को सेककर बनाया जाता है। यह पचने मे हल्का तथा फाइबर से युक्त होता है। आयुर्वेद में सत्तू का सेवन पानी में घोलकर तथा उसमें शहद मिलाकर करने के लिए कहा है। सत्तू का गर्मियों में विशेषकर प्रयोग करना चाहिए। यह एक प्रकार से तर्पण यानी कूलिंग इफेक्ट (The effects) का  काम करता है। महंगे प्रोटीन शेक की अपेक्षा सत्तू का शेक बना कर पीना हमारी जेब के लिए तथा शरीर दोनों के लिए लाभदायक है।
  5. तक्र या छाछ (Butter or buttermilk)- पेट की चर्बी को कम करती है। यह प्रीबायोटिक (Prebiotic) युक्त होती है जो कि डाइजेशन सिस्टम (Designation system) को सुधारती  है।
  6. गरम पानी (Hot Water)- मोटापा कम करने के लिए गर्म पानी का उपयोग तो सभी करते हैं लेकिन गर्म पानी का उपयोग आयुर्वेद (Ayurveda) में एक विशेष प्रकार से बनाने का वर्णन है इसके लिये 1 लीटर पानी को इतना उबालना है कि वह एक चौथाई रह जाए और इस पानी को धीरे धीरे करके पीना है। गर्म पानी का उपयोग सुबह जल्दी उठकर या भोजन से पहले करने से पेट की चर्बी कम होती है।
  7. गोमूत्र (Cow urine)- गोमूत्र अपने उष्ण और तीक्ष्ण गुण (Incisive quality) के कारण शरीर के आंतरिक अंगों की चर्बी , HDL को बढ़ाता हैं मेटाबॉलिज्म (Metabolism) बढ़ाता है। गोमूत्र लीवर के फंक्शन को बढ़ाता है तथा सभी प्रकार के पेट की बीमारी तथा मेटाबॉलिज्म को ठीक करता है।  गोमूत्र के स्थान पर गोमूत्र अर्क का भी प्रयोग कर सकते हैं। आयुर्वेद (Ayurveda) में गोमूत्र से युक्त कई दवाइयां भी आती है जैसे पुनर्नवा गूगुलु, गोमूत्र घनवटी, इनका प्रयोग भी गोमूत्र के स्थान पर किया जा सकता है। गोमूत्र को कैंसर की भी चिकित्सा के लिए उपयोगी माना गया है।
  8. उपवास चिकित्सा (Fasting therapy)- कुछ ना खाना भी एक प्रकार की चिकित्सा हैं। अनेक डायटिशियन (Dietician) यह मानते हैं कि बार-बार खाना या मोटापा कम होता है परंतु यह देखा गया है कि कई लोग डाइट को फॉलो करते हुए  मोटापे को कम नहीं कर पाते हैं। आयुर्वेद के अनुसार यदि हफ्ते में एक बार उपवास रखा जाए तो अग्नि भोजन की बचाने की बजाय बड़े हुए दोषों को पचाती है तथा हमारे पस्त्रोतों को खोलती है  इससे इंसुलिन (Insulin)  का सीक्रेशन बढ़ता है और डायबिटीज जैसी बीमारियों में भी फायदा होता हैं। एक नई रिसर्च के अनुसार इसे इंटरमिटेंट फास्टिंग (Intermittent fasting) कहते हैं इस प्रक्रिया में 16 घंटे तक कुछ भी नहीं खाते हैं। इस रिसर्च के अनुसार यदि 16 घंटे तक हम भूखे रहते हैं तो शरीर में ऐसे तत्व उत्पन्न होते हैं जो कि सेल्यूलर लेवल तक जाकर फैटी सेल्स को खत्म करते हैं और हमारे मेटाबॉलिज्म को बढ़ाते हैं।
  9. स्पेशल कृशरा (Special Agriculture)- आयुर्वेद में कृशरा एक प्रकार की खिचड़ी (Polenta) को कहा जाता है। यह एक स्पेशल खिचड़ी है जिस के सेवन करने से मोटापा तुरंत घटने लगता है यह खिचड़ी इस प्रकार बनाई जाती है। गेहूं, बाजरा, जौ इनमें से किसी भी अन्न को लेकर उसे सेक कर उसमें पानी डालकर उसे उबाल लें तथा हल्का गीला रहने पर उतार कर ठंडा कर शहद डालकर खायें। इसका नित्य प्रति सेवन करने से सभी प्रकार के मोटापे से निजात मिलती हैं।
  10. उद्वर्तन (Uplift)- आयुर्वेद के ऐसे औषधियां जो कि हम खा नहीं सकते लेकिन उनका बाहरी  प्रयोग करने पर मोटापे या इंच लॉस में बहुत सहायता मिलती है। उद्वर्तन यानी कि शरीर का मलना या मर्दन। इसके लिए जौ का आटा, त्रिफला, हल्दी को लेकर रोज नहाने से पहले 10 मिनट तक शरीर पर मलने से शरीर के फैटी टिशु घुलने  लगते हैं और इंच लॉस में सहायता मिलती है।

आयुर्वेद में लेखन बस्ती यानी एक प्रकार का एनिमा स्थूलता (Obesity) का नाश करता है  और शरीर में नई ऊर्जा का संचार होता है। वस्ति त्रिफला क्वाथ,  गोमूत्र और शहद  की दी जाती है।

मोटापा कम करने के लिए प्रोटीन का अच्छी तरह से उपयोग करना चाहिए। प्रोटीन के रूप में दाल बहुत अच्छा स्त्रोत है। दालों में आयुर्वेद में मूंग की दाल को सर्वश्रेष्ठ माना गया है। इसके अलावा मसूर की दाल, अरहर की दाल या कुलथी की दाल का भी सेवन कर सकते हैं।  इसके अलावा आपकी जीवन शैली के अनुसार शारीरिक व्यायाम व क्रियाएं सुनिश्चित करें। तेज गति से चलना, जोगिंग, मैदान में खेले जाने वाले खेल, सीढ़ियां चढ़ना, पानी में तैरना, योगा अभ्यास करना, सूर्य नमस्कार, ज्यादा समय तक वजन कम करने के लिए के लिए आवश्यक है। शारीरिक व्यायाम की मात्रा धीरे-धीरे बढ़ाकर 30 मिनट तक या उससे अधिक समय तक रोज करना लाभकारी है। इसके अलावा रात में जल्दी सोना व चिंता नहीं करना भी मैं मोटापा को कम करता है।

Dr Neha
Compiled By: Dr. Neha Ahuja
(BAMS, NDDY, DNHE)

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