कब्ज़ या कोष्ठबद्धता (CONSTIPATION)

by | Nov 16, 2020 | Ailment, Health Tips & Treatments

आज मनुष्य पर अपना अधिकार जमाने वाले जितने भी लोग हैं उन में सबसे ऊपर का स्थान कब्जियत का है। इसे कब्ज़ या कोष्ठबद्धता या constipation  भी कहते हैं। आज विश्व में शायद ही कोई ऐसा व्यक्ति हो जो इस रोग का शिकार न बना हो।  यही कारण है कि आज जितनी दवाइयां (The medicines) इस रोग के निवारण हेतु बाजार में उपलब्ध है उतनी अन्य बीमारियों की नहीं है। पहले तो यह रोग मोर्डन समाज (Morden society) में पाया जाता था, किंतु आज इसने  सभी को अपने जाल में फंसा रखा है।

कब्ज क्या है (What is constipation) :

आंतो से मल (stool) बिल्कुल ना निकले, कम निकले, मुश्किल से निकले अथवा बंधा हुआ ना निकले तो जान लेना चाहिए कि कब्ज रोग हो गया है। कब्ज़ (CONSTIPATION) से ही लगभग सभी रोगों के उत्पन्न होने की जड़ मानी जाती है। महर्षि वाग्भट (maharishi vagbhata) ने भी कहा है, सभी रोगों का कारण पेट की खराबी या मंदाग्नि है। आयुर्वेद में इसे कोष्ठबद्धता, विबंध (Restriction), मलावरोध (Prolapse), कब्ज आदि नामों से जाना जाता है। यही constipation ही प्राय: सारे पेट के रोगों का क्या कारण है। संपूर्ण उदर रोग (Abdominal disease), मंदाग्नि (Retard), अजीर्ण (Indigestion), मलसंग (Mulsang)  के कारण से होते हैं।

क्यों होती है कब्जियत (Why is there constipation):

शरीर की आंतों में खाद्य पदार्थ जब पहुँचता है तब digestive system यानी पाचन संस्थान उस खाने को रस आदि सप्तधातु (Saptadhatu) में परिणित कर देता है। यदि अधिक मात्रा या अभक्त पदार्थों (ना खाने योग्य खाना) का सेवन किया जाए तो मंदाग्नि (Retard), अपच (Indigestion), कब्ज जैसे प्रारंभिक विकार (Early disorder) हो जाएंगे।

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क्यों होती है कब्ज़ (Why is constipation) :

HURRY WORRY AND CURRY सभी पेट के रोगों का कारण है।

  1. पुरीष वेग  को रोकने से (By preventing full velocity)- आज के व्यस्तता वाले जीवन में यह देखा गया है कि लोग सुबह कामकाज में इतने व्यस्त रहते हैं कि शरीर के प्राकृतिक वेग मल (Natural velocity stool) और मूत्र के वर्गों (Sections of urine) को रोकते हैं जिससे की वात का प्रकोप हो जाता है और विबंध (Restriction) उत्पन्न हो जाता है।
  2. अत्याधिक भोजन करने से (Eating too much)- भूख से ज्यादा भोजन करना|
  3. अजीर्ण से (With indigestion)- आंतों की या शरीर की पाचन शक्ति (Digestion Power) कम हो तो भारी भोजन करने से constipation  हो जाता है।
  4. अध्ययन से (From study)- भोजन के पचे बिना फिर से भोजन कर लेना। आजकल लोग बार-बार खाने को अच्छा मानते हैं परंतु बार-बार खाना हमारे पाचन शक्ति के धीरे-धीरे कमजोर कर देता है और कब्ज़ (constipation) और मंदाग्नि (Retard) जैसे रोगों को उत्पन्न कर देता है|आयुर्वेद के अनुसार दिन में दो समय भोजन करना चाहिए यदि पहले का भोजन बचा हुआ नहीं हो या भूख नहीं हो तो भोजन नहीं करना चाहिए |
  5. मंदाग्नि (Retard)- पाचक अग्नि के कमजोर हो जाने को मंदाग्नि कहते हैं। मंदाग्नि के कारण खाया हुआ आहार ठीक से पचता नहीं है। आहार के न पचने से अपच (Indigestion) हो जाता है और यही अपच कब्ज का कारण है। शुरू में गैस बनना, पेट भारी होना, समय पर भूख नहीं लगना और खट्टी डकार (Indigestion) आना और मुंह में पानी भर जाता है और तबियत गिरी गिरी सी रहने लगती है।
  6. अधिक मात्रा में प्रोटीन व स्टार्च (Protein and Starch) वाले वाले भोज्य पदार्थों का सेवन भी कब्ज का कारण है। यह प्रोटीन (Protein) और स्टार्च (Strach) का अधिक मात्रा में सेवन करने से यकृत या लिवर (Liver) के कार्यों में बाधा उत्पन्न होती है। इसके फलस्वरूप आंतों में मल सूखने लगता है और पर्याप्त चिकनाई के अभाव में शरीर से बाहर नहीं निकल पाता है परिणाम स्वरूप कब्ज हो जाती है। आजकल अधिकतर लोग वजन कम करने के लिए या बॉडी बढ़ाने के लिए प्रोटीन शेक का अधिकतर उपयोग करते हैं जिसके फलस्वरूप लीवर पर भार पड़ता है और पाचक एंजाइम (Digestive enzymes) कम होने लगता है और पेट में मंदाग्नि हो जाती है।
  7. भोजन में सेल्यूलोज (Cellulose) रहित आहार का अधिक सेवन भी कब्ज का कारण है। सेल्यूलोज रहित पदार्थों में प्रमुखता मैदा से बनी हुई चीजें, पॉलिश किया हुआ चावल, छिलका रहित दालें आदि हैं। रात को कम सोने व दिन में अधिक सोने से भी पाचन तंत्र (Digestive System) प्रभावित होता है क्योंकि अनिद्रा (Insomnia) का प्रभाव आंतों की क्रिया को प्रभावित करता है।

कब्ज़ या विबंध के लक्षण (Symptoms of constipation or restriction):

भूख की कमी तथा शारीरिक व मानसिक सुस्ती कोष्ठबद्धता का सबसे पहला लक्षण है जो इस बात का सूचक है कि शरीर में विजातीय तत्व (toxins) का संचय होना प्रारंभ हो गया है। रोगी की शौच क्रिया साफ नहीं होती, पेट कठोर व भारी होता है| रोगी की अपान वायु या गैस का निस्तारण (Disposal) उचित प्रकार से नहीं होता। गैस या वात प्रतिलोम गति होती है या डकारे आती हैं। सिर प्रदेश में जाकर यह वायु सिरदर्द (Headache) उत्पन्न करती है। इसके अतिरिक्त नींद उचित प्रकार से नहीं आती, मुंह का स्वाद बिगड़ जाता है, जीभ खराब हो जाती है तथा मन व शरीर दुर्बल व स्वस्थ हो जाते हैं। कब्ज़ के कारण शरीर में अनेक रोग उत्पन्न हो जाते हैं। प्राय: जितने भी लोग हैं उन की जड़ कॉन्स्टिपेशन ही है।

मलबंध या कब्ज से बचने के सामान्य उपाय (Common measures to avoid constipation or constipation) –

  1. भोजन (Food)- रोगी को भोजन में अधिक से अधिक रेशेदार फल व सब्जियों का सेवन करना चाहिए| फल में अंगूर (Grapes), नींबू (Lemon), सेव (Apple), पपीता (Papaya), नारियल की गिरी (Coconut kernel) तथा हरी सब्जियों का अधिक से अधिक मात्रा में सेवन करना चाहिए। भोजन को धीरे-धीरे चबाकर खाना चाहिए रोगी को भोजन की आवश्यकता से थोड़ा कम ही सेवन करना चाहिए। एक-दो दिनों की मामूली कब्ज में और कुछ ना खाकर केवल चोकरदार (Bran) आटे की मोटी रोटी खूब चबा चबाकर कुछ दिनों तक खाने से आशातीत (Hopeless) लाभ होता है। यदि मोटी रोटी ना खाई जा सके तो उसके साथ कम मिर्च मसाले की साग सब्जी खाई जा सकती है। बेसन से बने पदार्थ, गरिष्ठ भोजन, अधिक तैलीय पदार्थ, तेज मिर्च मसालेदार पदार्थों के सेवन से बचें। 1 सप्ताह तक भोजन में मूंग की दाल की खिचड़ी की डालकर भी खा सकते हैं। ताजा पतली छाछ या दो पतली रोटियां सब्जी और दाल के साथ खा सकते हैं। भोजन करते वक्त पानी ना पीकर उसके 2 घंटे बाद पानी पीना चाहिए।
  2. ड्राई फ्रूट (Dry Fruits) या सूखे फलों में बादाम (Almond), काजू (Cashew), अखरोट (Walnut), मुनक्का (Dry grapes) का सेवन करें।
  3. अधिक मात्रा में तली हुई चीजें, अधिक प्रोटीन (Protein) व स्टार्च (Strach) वाले पदार्थ व मांसाहार का सेवन नहीं करना चाहिए।
  4. Liquid diet या तरल पदार्थ– रोगी को अधिक से अधिक पानी पीना चाहिए तथा अन्य तरल पदार्थों का सेवन करना चाहिए।
  5. रोगी को शौच जाने से पहले एक से दो गिलास पानी पीना चाहिए।
  6. गर्म पानी में नींबू का रस डालकर नित्य समय पीना चाहिए।
  7. कार्बोनेटेड ड्रिंक्स (carbonated drinks), पैकेट बंद भोजन आदि का सेवन से परहेज करना चाहिए।
  8. Lifestyle में बदलाव रोगी को नियमित दिनचर्या, रितुचर्या (Ritual), रात्रिचर्या (Dinner) का पालन करना चाहिए।
  9. नित्य व्यायाम (Daily exercise) करना चाहिए जैसे सुबह टहलना, पानी में तैरना, आउटडोर खेल खेलना, प्रतिदिन 3 से 4 किलोमीटर पैदल चलना चाहिए।
  10. रोगी को नित्य रात्रि 6 से 8 घंटे नींद लेना चाहिए|
  11. शौच के समय ठीक स्थिति में बैठकर शौच करना चाहिए। शौच के लिए सुबह शाम दो वक्त अवश्य जाना चाहिए चाहे शौच हो या ना हो शौच के समय जोर भी नहीं लगाना चाहिए। अगर जोर लगाते हैं तो piles की समस्या होने की संभावना रहती है। रात्री में जल्दी सोना और सुबह जल्दी उठना चाहिए।
  12. आयुर्वेदिक औषधियां (Ayurvedic Medicines)|
  13. इसबगोल (Isabgol) 5 ग्राम रात में गर्म दूध से लें|
  14. एरंड तेल (Castor oil) को एक से दो चम्मच दूध में मिलाकर रात को सोते समय सेवन करना चाहिए|
  15. सनाय की पत्ती (Senna Leaf) का चूर्ण 3 ग्राम गर्म पानी से रात में लें|
  16. अमलतास की फली (Pudding pod) को सुबह पानी में भिगोकर रात में उसको पानी को|
  17. मसलकर 5 ग्राम की मात्रा में सेवन करें।
  18. त्रिफला (Triphala) चूर्ण 3 ग्राम रात में गर्म पानी के साथ ले।
  19. आरोग्यवर्धिनी वटी (Arogyavardhini Vati), चित्रकादि वटी (Chitrakadi vati) दो-दो वटी प्रातः शाम सेवन करें|
  20. अभयारिष्ट (Abhishrishta), कुमार्यासव (Kumaryasava), द्राक्षासव (Draxasava) दो दो चम्मच से भोजन के बाद दोनों वक्त पिए|
  21. कोई भी आयुर्वेदिक औषधियां (Ayurvedic Medicines) किसी आयुर्वेदिक चिकित्सक से परामर्श करके ही लें क्योंकि प्रत्येक व्यक्ति में कब्ज का कारण अलग-अलग होता है तथा कब्ज की जितना पुराना होता है दवाई का भी चयन उस हिसाब से किया जाता है इसलिए स्वयं बाजार से दवाई लेकर खाने की बजाय किसी चिकित्सक से परामर्श लेकर ही दवाई खाने से उचित लाभ मिलता है नहीं तो गलत दवाई के सेवन से कब्ज ज्यादा बढ़ सकता है|

कब्ज की प्राकृतिक चिकित्सा (Natural Cure of Constipation):

  1. रोगी के पेट पर मिट्टी का लेप करना चाहिए उधर स्नान (Belly bath) यानी गर्म पानी से सब में बैठ कर दो पेट को नाभि के नीचे रगड़ना चाहिए|
  2. दिन में दो बार जब पेट खाली हो गर्म पानी में भिगोए तौलिए से 15 से 20 मिनट तक देखना फायदेमंद है बीच-बीच में गर्म ठंडा से एक भी करते रहना चाहिए इसका प्रभाव अच्छा पड़ता है|
  3. पंचकर्म चिकित्सा आयुर्वेद में विरेचन चिकित्सा तथा बस्ती चिकित्सा constipation लिए उत्तम औषधि मानी गई है। बस्ति चिकित्सा में विशेष प्रकार की दवाइयों से निर्मित काढ़ा तथा उनमें अन्य औषधियां मिलाकर एनिमा (Enema) दिया जाता है। जिससे की आंतों की पूर्णता सफाई होती है और चिपका हुआ मल बाहर आ जाता है और अग्नि की वृद्धि होती है। विरेचन प्रक्रिया (Arbitration process) में विशेष प्रकार की औषधियां रोगी को खिलाई जाती हैं जिससे कि पेट एकदम साफ हो जाता है।
  4. इसके अलावा पेट की मालिश और भाप स्नान भी आंतो की क्रियाशीलता को बढ़ाता है।
  5. कब्ज में योगासन (Yoga)|
  6. रोगी को योग व आसनों का नित्य प्रयोग करना चाहिए। आसनों में पश्चिमोत्तानासन (Paschimottanasan), भुजंगासन (Bhujangasana), हलासन (Halasan), धनुरासन (Dhanurasan), सर्वांगासन (Sarvangasan) आदि लाभकारी हैं। प्राणायाम में अग्निसार प्राणायाम, पेट के अंदर बाहर खींचने की प्रक्रिया  करनी चाहिए।

 

 

Dr Neha
Compiled By: Dr. Neha Ahuja
(BAMS, NDDY, DNHE)

 

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