भय (Fear), बेचैनी (Restlessness), असहजता (Discomfort) एवं ह्रदय गति (Heart Rate) का अनुभव चिंता (Anxiety) कहलाता है। यह एक आम समस्या है किंतु इसके बढ़ जाने पर जटिल रोग (Complex Disease) हो सकते हैं। चिंता एक ऐसी शारिरिक एवं मनोवैज्ञानिक (Psychologist) स्थिति है जिसमें वात का असंतुलन हो जाता है। सांस लेने में तकलीफ (Shortness Of Breath), सिरदर्द (Headache), जी मिचलाना(Nausea), पेट-दर्द, कंप कंपी होना एवं डायरिया (Diarrhea) चिंता के प्रमुख लक्षण होते हैं। चिंता का मूल कारण भविष्य के अज्ञात परिणामों पर अत्यधिक मानसिक ऊर्जा व्यय करना, नियंत्रित परिस्थितियों में चिंता आपको ऊर्जा दे सकती है, किंतु अत्यधिक बढ़ जाने पर यह शारिरिक एवं मानसिक स्वास्थ्य को प्रभावित करके जटिल रोगों का कारण बन सकती है। चिंता की स्थिति में व्यक्ति की भूख भी प्रभावित होती है। व्यक्ति या तो बहुत अधिक मात्रा में खाने लगता है या खाने का मन नहीं करता। चिंता के उपचार हेतु आयुर्वेद में कई विधियों एवं जडी बूटियों का उल्लेख मिलता है। शिरोधारा (Shirodhara) एवं समवृत्ति प्राणायाम (Equivalence Pranayama) के साथ ही ब्राह्मी ओर अश्वगंधा (Ashwagandha) जैसी जडी बूटियों से चिंता से मुक्ति मिलती है।
शिरोधारा:- यह विधि तंत्रिका तंत्र पर कार्य करती है। इससे नसों को आराम मिलता है एवं अनिद्रा (Insomnia) औऱ अवसाद (Depression) जैसे रोगों का उपचार करने में मदद मिलती है, इस विधि में गर्म तेल की एक स्थिर धारा (Steady Stream) को अनवरत (Relentlessly) रूप से माथे पर डाला जाता है जिससे न्यूरॉन्स (Neurons) उद्दीपित होते हैं। शिरोधारा का प्रभाव ध्यान के समान होता है, इससे सुकून, शांति और आराम मिलता है एवं अवसाद में कमी आती है।
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समवृत्ति प्राणायाम (Equivalence Pranayama):- योग के लाभ से हम सभी परिचित हैं। समवृत्ति प्राणायाम श्वसन तंत्र के लिए बेहद लाभदायक होता है साथ ही इससे शरीर एवं मस्तिष्क दोनों एक लय में आते हैं जिससे अवसाद एवं चिंता में आराम मिलता है। इसके अलावा भुजंगासन (Bhujangasana), मत्स्यासन (Matsyasan), ताड़ासन (Tadasan), शशांकासन (Shashankasan) तथा शवासन भी चिंता एवं अवसाद को कम करते हैं।
चिंता को कम करने की आयुर्वेदिक दवा (Ayurvedic Medicine To Reduce Anxiety):-
ब्राह्मी (Brahmi)– यह एक स्मृति-वर्धक (Memory Enhancer) ओषधि होने के साथ ही अनिद्रा (Insomnia) एवं अवसाद (Depression) में भी समान रूप से लाभकारी है।
अश्वगंधा (Ashwagandha)– यह तंत्रिका तंत्र के उपचार में अत्यंत लाभकारी जडी बूटी है एवं इसके उपयोग से मांसपेशियों को भी शक्ति मिलती है अनिद्रा, थकान (Stress), चिंता (Anxiety), अवसाद आदि में अश्वगंधा (Ashwagandha) का प्रयोग बेहद लाभदायक सिद्ध होता है।
जटामांसी (Spikenard)– यह जडी बूटी हिमालय पर्वत पर पाई जाती है। यह तंत्रिका कोशिकाओं के नुकसान को रोकती है और अनिद्रा, थकान (Stress), तनाव, चिंता (Anxiety) एवं अवसाद जैसी मानसिक समस्याओं के उपचार में विशेष रूप से लाभदायक सिद्ध होती है। इन ओषधियों के अतिरिक्त चिंता, अवसाद एवं अनिद्रा से पीड़ित व्यक्ति को अपने आहार एवं व्यवहार में भी सकारात्मक परिवर्तन लाने की आवश्यकता होती है जैसे कि भोजन समय से एवं सुपाच्य (Digestible) लें। कम से कम 7 या 8 घण्टे की नींद अवश्य लें। योगासन या कसरत करें।
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