एड़ी में दर्द (Heel pain) की समस्या के कारण व्यक्ति की दैनिक दिनचर्या प्रभावित होती है। एड़ी का दर्द विशेष रूप से सुबह के समय होता है इसका प्रमुख कारण प्लान्टर फासिसिसया (Planter fascia) एड़ी के ऊतकों में सूजन होता है। इसके अतिरिक्त मोटापा (Obesity) एवं एड़ी में चोट भी एड़ी के दर्द का कारण हो सकता है। हाई हील के चप्पल या जूते पहनने से या अकिलिस टेंडन रप्चर (Akilis tendon rupture) भी एड़ी में दर्द का कारण होता है। आयुर्वेद में एड़ी के दर्द का कारण वात का असंतुलन मन जाता है। एड़ी में दर्द के कारण चुभन का अनुभव होता है इसलिए आयुर्वेद में इसे वात कंटक (Gout) कहा जाता है।
लक्षण (Symptoms):- एड़ी के नीचे या पीछे की ओर दर्द होना। अकारण बिना किसी चोट के एड़ी में दर्द व चुभन होना।
एड़ी में दर्द के उपचार की आयुर्वेदिक विधियां (Ayurvedic methods of treatment of heel pain) :
एड़ी में दर्द के उपचार हेतु विरेचन (Purgation), स्वेदन (diapne), लेप (Coating) तथा अभ्यंग (Abhyang) एवं रक्तमोक्षण (Hemorrhage) विधियों का प्रयोग किया जाता है।
विरेचन (Purgation): इस विधि या थेरेपी में रेचक ओषधियों के प्रभाव से शरीर से विषाक्त पदार्थों (Toxins) को निकाला जाता है और वात का संतुलन किया जाता है। इससे एड़ी के दर्द में आराम मिलता है।
स्वेदन (Diapne):- इस विधि में पसीना निकालकर वात को संतुलित किया जाता है जिस से एड़ी के दर्द में राहत मिलती है।
अभ्यंग कर्म (Abhyana Karma) :- इस विधि में ओषधीय तेलों का उपयोग होता है। एड़ी के विशिष्ट बिंदुओं पर पिंड के तेल (Ingot oil) जैसे तेलों का प्रयोग करके दर्द को कम किया जाता है।
लेपकर्म (Coating):- इस विधि में ओषधीय लेपों का प्रयोग किया जाता है। लेप विधि में मुख्य रूप से जौ (Barley), आमला (Amla) एवं वच (Wach) का उपयोग होता है। लेप का प्रयोग दर्द से प्रभावित क्षेत्रों पर लगाने से आराम मिलता है।
रक्तमोक्षण (Hemorrhage):- इस प्रक्रिया में दूषित रक्त को शरीर से बाहर निकाला जाता है। इस थेरेपी में जोंक (Leech) का प्रयोग दूषित रक्त को शरीर से निकालने के लिये किया जाता है। रक्तमोक्षण से एड़ी के दर्द में आराम मिलता है।
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एड़ी के दर्द के उपचार में प्रयुक्त जड़ी बूटियां (Herbs used to treat heel pain) :
चित्रक (plumbago rosea), अरंडी (Castor) एवं रसना (Ooze) आदि जड़ी बूटियों का एड़ी के दर्द के उपचार में विशेष लाभ होता है।
चित्रक (Plumbago Rosea):- चित्रक के ओषधीय गुणों के कारण इसका सेवन एवं लेप एड़ी के दर्द में लाभकारी होता है।
रसना (Ooze):- इसका प्रयोग हड्डियों के दर्द, गठिया (Arthritis) एवं वात कण्टक में विशेष लाभदायक है।
अरंडी (Castor):- यह दर्द निवारक जड़ी बूटी नसों के दर्द (Neuralgia) में आराम देती है।
एड़ी के दर्द के उपचार में प्रयुक्त ओषधियाँ (Medicines used to treat heel pain):
दशमूलारिष्ट (Dashmularishta):- दशमूल (Dashmool), हरड़ (harad), लौंग (Cloves), शहद (Honey), गुड़ (Jaggery) एवं पिप्पली (Pippali) से निर्मित यह औषधि एड़ी की हड्डियों में दर्द से राहत प्रदान करती है।
योगराजगुग्गुल (Yograj Guggul):- चित्रक (plumbago rosea), रसना (Ooze), अजवायन (Parsley), योगिराज गुग्गुल (Yogiraj Guggul), शतावरी (Asparagus) एवं पिप्पली (Pippali) से निर्मित यह औषधि एड़ी के दर्द के साथ ही अर्थराइटिस (Arthritis) में भी समान रूप से लाभकारी होती है।
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