पेल्विक पैन क्या होता है? पेट के निचले हिस्से को पेड़ू या पेल्विक कहते हैं। मूत्र मार्ग में किसी संक्रमण अथवा कब्ज़ (Constipation) के कारण या माहवारी (Menstruation) के समय पेड़ू में दर्द होता है। पेड़ू के दर्द से मुक्ति के लिए आयुर्वेद में पंचकर्म के अंतर्गत बस्ती (एनीमा) ,स्वेदन (diapne) कर्म तथा मालिश की जाती है। महिलाओं में माहवारी के समय होने वाले पेड़ू के दर्द को डिसमेनोरिया (Dysmenorrhea) कहा जाता है। आम तौर पर यह दर्द हल्का होता है लेकिन 6 में से एक महिला को यह इतना तीव्र होता है कि वह अपने दैनिक कार्यों को करने में भी असमर्थ हो जाती है।
अपेंडिसाइटिस (Appendicitis):- अपेंडिक्स एक थैली नुमा होता है जो आंत्र की दीवार से चिपका होता है। इसी अपेंडिक्स (Appendix) में सूजन अपेंडिसाइटिस कहलाता है। इस रोग में दस्त (Diarrhea), उल्टी (Vomit) तथा पेट दर्द (stomach pain) की समस्या होती है । शल्य क्रिया द्वारा अपेंडिक्स को आंत्र से अलग किया जाता है। मूत्र मार्ग में संक्रमण, अंडाशय में गाँठ व पुरुषों में हर्निया (Hernia) के कारण भी ये दर्द हो सकता है।
आयुर्वेदिक उपचार (Ayurvedic treatment):-
बस्ती (Enema)– इस विधि में काढ़े अथवा तेल को बड़ी आंत्र तक पहुँचाया जाता है। यह विधि शाम के समय खाली पेट की जाती है। बस्ती के पश्चात पीडित रोगी को चावल का मांड, मीट का सूप तथा हल्का भोजन दिया जाता है। बस्ती विधि द्वारा मूत्र मार्ग के संक्रमण एवं डिसमेनोरिया (Dysmenorrhea) के कारण होने वाले पेड़ू के दर्द में आराम मिलता है।
स्वेदन (Diapne):- इस विधि में मांसपेशियों की अकड़न दूर करने के लिए पसीना लाया जाता है। यह विधि पंचकर्म (Panchakarma) के अंतर्गत आती है तथा पेड़ू के दर्द में प्रयुक्त होती है।
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अभ्यंग (Massage):- इस विधि में ओषधीय तेलों द्वारा एक विशेष दिशा में मालिश की जाती है। पेड़ू के दर्द में सर्पतेल (Serpent Oil), टिल का तेल (Sesame oil), नारायण तेल (Narayana Oil) आदि द्वारा 15 मिनट तक मालिश की जाती है।
योनी पिचू (Yoni picchu):- इस विधि में कॉटन पैड को ओषधीय तेल में डुबोकर प्रभवित भागों पर लगाया जाता है।
विरेचन (Purgation):– इस विधि में बढ़े हुए वात एवं अमाको ओषधियों द्वारा गुदा मार्ग से निकाला जाता है। इस विधि में रेचक ओषधियों का प्रयोग होता है।
आयुर्वेदिक जड़ी बूटियां (Ayurvedic Herbs):- पेड़ू के दर्द से मुक्ति के लिए निर्गुन्डी (Nirgundi), आमलकी(Amalaki), मुस्ता (Musta),आदि जड़ी बूटियों का आयुर्वेद में उल्लेख किया गया है।
निर्गुन्डी(Nirgundi):- यह मूत्र वर्धक, दर्द निवारक एवं नसों को शक्ति देने वाली ओषधि है। इसे पानी, शहद, काढ़े में या पाउडर के रूप में उपयोग किया जाता है।
आमलकी (Amalaki):- यह पाचन (Digestion), उत्सर्जन (Emission) एवं परिसंचरण तंत्र (Circulatory system) पर कार्य करती है। यह कामोतेजक, भूख बढ़ाने वाली, नसों को शांत करने वाली ओषधि है। इसकाप्रयोग काढ़े, मिठाई में या पाउडर के रूप में किया जाता है। इसके अतिरिक्त अरंडी (Castor), अतिविषा (Superlative), मुस्ता (Musta), दशमूलक्वाथ (Dashmulath), चंद्रप्रभावटी (Chandraprabha Vati) पेड़ू के दर्द से मुक्ति में विशेष रूप से लाभदायक हैं।
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