बहुत अधिक व्यायाम करने, चोट लगने अथवा किसी बीमारी के कारण भी घुटनों में दर्द होता है। साइटिका (Sciatica) एवं ऑर्थराइटिस (Arthritis) भी घुटनों के दर्द का मुख्य कारण है।आयुर्वेद में घुटनों के दर्द के उपचार में स्वेदन (Diapne), रक्त-मोक्षण (Hemorrhage), लेप (Coating) तथा अग्निकर्म (Agni Karma) आदि विधियों का प्रयोग किया जाता है। घुटनों के उपचार में प्रयुक्त प्रमुख दवाएं योग राज गुग्गुल, अदरक, अश्वगंधा (Ashwagandha) तथा चंद्रप्रभावटी (Chandraprabha Vati) आदि हैं।
रक्तमोक्षण (Hemorrhage)– इस विधि में गाय के सींग या सुई द्वारा पीड़ित व्यक्ति के शरीर से अशुद्ध रक्त (Unclean Blood) को निकाला जाता है। इस विधि से शरीर में एकत्रित विषेले पदार्थों का निष्कासन होता है। गठिया रोग (Arthritis) में रक्त मोक्षण से विशेष लाभ होता है।
स्वेदन कर्म (Perspiration)– इस विधि में रोगी को पसीना दिलाया जाता है, जिससे अमा को बाहर निकाला जाता है और शरीर में वात को संतुलित किया जाता है।
विरेचन कर्म (Purgatory Deeds)– रेचक ओषधियो (Purgative) द्वारा दस्त लाने की विधि को विरेचन कहते हैं। इस विधि द्वारा शरीर में वात का संतुलन किया जाता है। गंधर्व अस्ताधीकवाथ (Gandharva Astadhikwath), अभ्यादी मोदक (Habitual Modulator) तथा अरंडी का तेल (Castor Oil) विशेष रूप से इस विधि में प्रयोग किया जाता है।
बस्ति कर्म (Enema)- ओषधीय काढ़े तेल या पेस्ट को एनिमा द्वारा शरीर में प्रविष्ट (Entered) करवाया जाता है, जिससे आंतो की सफाई हो सके। इस विधि द्वारा शरीर में वात का संतुलन करके आर्थराइटिस/गठिया (Arthritis) एवं साइटिका के दर्द का उपचार किया जाता है।
लेप (Coating)– इस विधि में विभिन्न औषधियों के लेप का पूरे शरीर या प्रभावित हिस्से पर किया जाता है। जटामयादी लेप (Instant coating), दशांग लेप (Dashang Paste) एवं धूमादी लेप (Fumigation coating) का उपयोग घुटनों के दर्द में विशेष लाभदायक होता है।
अग्निकर्म (Agni Karma)– इस विधि में शरीर के प्रभावित हिस्से को जलाया जाता है। शरीर में संक्रमण एवं पस (Pus) को समाप्त करने के लिए भी इस विधि का प्रयोग किया जाता है।
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घुटनों के दर्द की आयुर्वेदिक औषधियां :
अश्वगंधा (Ashwagandha)– यह तंत्रिका तंत्र एवं श्वसन तंत्र पर काम करती है। यह सूजन रोधी, दर्द निवारक एवं नसो को आराम देने वाली औषधि है। काढ़े, पाउडर या तेल के रूप में प्रयोग करनेपर यह आर्थराइटिस (Arthritis) के कारण हड्डियों में होने वाले दर्द एवं सूजन से राहत दिलाती है।
अदरक (Ginger)– यह श्वसन तंत्र एवं पाचन तंत्र (Digestive System) पर कार्य करती है। दर्द निवारक यह ओषधि सेंधा नमक (Rock Salt) के साथ सेवन करने पर आर्थराइटिस में आराम दिलाती है| इसका उपयोग काढ़े, पेस्ट, पाउडर या गोली के रूप में किया जाता है।
गुग्गुल (Guggul)- यह पाचन एवं परिसंचरण तंत्र (Circulatory System) पर काम करती है। आर्थराइटिस में दी जाने वाली यह एक प्रमुख दवा है। यह दर्द-निवारक (Painkiller) होने के साथ ही टूटी हड्डियों को जोड़ने का भी काम करती है। इसका उपयोग पाउडर या गोली के रूप में किया जाता है।
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