एड्स एक ऐसी बीमारी है जिसका अर्थ है उपार्जित प्रतिरक्षी अपूर्णता सहलक्षण (Acquired immune deficiency syndrome)। एड्स HIV मानवीय प्रतिरक्षी अपूर्णता विषाणु (Human immunodeficiency virus) से होता है यह एचआईवी का सबसे उन्नत चरण है। लेकिन सिर्फ इसलिए कि किसी व्यक्ति को एचआईवी (HIV) है इसका मतलब एड्स विकसित नहीं होगा। एच.आई.वी.( HIV) रक्त में उपस्थित प्रतिरोधी पदार्थ लसीका-कोशो (Lymphatic) पर हमला करता है। ये पदार्थ मानव की जीवाणु और विषाणु जनित बीमारियोंसे शरीर की रक्षा करते हैं। जब एच.आई.वी. द्वारा आक्रमण से शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता (Immunity) कम होने लगती है तो भयानक बीमारियाँ क्षय रोग (Tuberculosis) और कैंसर (Cancer) आदि आसानी से शरीर को रोगी बना देते है। शरीर को कई अवसरवादी संक्रमण यानि आम सर्दी जुकाम (Cold and cough), फुफ्फुस (Pleural) आदि आसानी से घेर लेते है
एचआईवी सीडी 4 कोशिकाओं को मारता है। स्वस्थ वयस्कों में आमतौर पर 500 से 1,600 प्रति घन मिलीमीटर की सीडी 4 गणना होती है । एचआईवी से पीड़ित व्यक्ति जिसकी सीडी 4 गिनती 200 प्रति घन मिलीमीटर से कम है, उसका निदान एड्स से किया जाएगा। यह कम हो सकता है यदि व्यक्ति एक गंभीर अवसरवादी बीमारी विकसित करता है। हालांकि, एंटीरेट्रोवाइरल (Antiretroviral) दवाओं के साथ उपचार से एड्स को विकसित होने से रोका जा सकता है।
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एड्स के कारण (Due to AIDS):
- एड्स एचआईवी के कारण होता है। यदि कोई व्यक्ति एचआईवी (HIV) संक्रमित नहीं है तो उसे एड्स नहीं हो सकता है। एड्स किसी एचआईवी संक्रमित व्यक्ति के साथ असुरक्षित यौन संबंध बनाने पर हो सकता है।
- स्वस्थ व्यक्तियों में 500 से 1,500 प्रति घन मिलीमीटर की सीडी 4 गणना होती है। यदि किसी व्यक्ति की सीडी 4 गिनती 200 से नीचे आती है, तो उन्हें एड्स है।
- इसके अलावा, यदि एचआईवी वाले किसी व्यक्ति को एचआईवी से जुड़े अवसरवादी संक्रमण (Opportunistic transition) का विकास होता है, तो भी उन्हें एड्स का निदान किया जा सकता है, भले ही उनकी सीडी 4 गिनती 200 से ऊपर हो।
आयुर्वेदिक उपचार (Ayurvedic treatment) :
- च्वनप्राश अवलेह में एक से अधिक जड़ी बूटियाँ तथा आमलकी (amalaki) मिलाकर एक टानिक बनाई जाती है जो संक्रमित व्यक्ति को उर्जा प्रदान करती है। च्वनप्राश अवलेह चिकित्सक की सलाह से गन्ने का रस, दूध या पानी में उबालकर काढ़े की तरह ले सकते है।
- वसंत कुसुमाकर (Vasant Kusumakar) में सुवर्णा भस्म के साथ नाग, वमंग, प्रवाल और अन्य चीजे मिलाकर तैयार की गई औषधि से एचआईवी के मरीज को दी जाती है।
- जरेनियम (Geranium), जिसे आयुर्वेद में कषायमूल वनस्पति (Vermifuge) भी कहते हैं, से एड्स के वायरस को खत्म करने का दावा किया है। शोधकर्ताओं का ये मानना है कि जरेनियम की जड़ में कुछ ऐसे तत्व हैं जो मानव कोशिकाओं को एचआईवी-1 वायरस का प्रवेश रोकने के लिए मजबूत बनाता है।
घरेलू उपचार (Home remedies) :
- सप्ताह में नियमित रूप से 10 से 15 मिनट के लिए रनिंग (Running), स्विमिंग (Swimming), एरोबिक डांस (Aerobic dance), साइकिलिंग (Cycling) आदि का अभ्यास करें|
- नियमित रूप से योगाभ्यास (Yoga practice) करें।
- प्रतिदिन 20 से 30 मिनिट तक ध्यान (Meditation) करें।
- त्वचा पर कटे/छिले अथवा घाव को ढककर रखें।
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