इरिटेबल बॉवेल सिंड्रोम (Irritable bowel syndrome)- एक ऐसा विकार है जिसमे बड़ी आंत (Large intestine) प्रभावित होती है। इस रोग रोगी को कब्ज (Constipation) या बार-बार दस्त लगना, पेट में दर्द, गैस जैसी समस्याएं होती हैं। हालांकि यह बहुत सामान्य नहीं होता है। शुरूआत में खान-पान, जीवनशैली में बदलाव एवं तनाव कम करके इस बीमारी के लक्षणों को नियंत्रित किया जा सकता है। अलग अलग रोगियों में इसके लक्षण सामान्य या अमान्य हो सकते है। यह बीमारी घातक नहीं होती और इलाज द्वारा इसे ठीक भी किया जा सकता है। कई बार कुछ खाते ही शौच के लिए जाना पड़ता है। पेट में दर्द या एँठन, बहुत ज्यादा गैस बनना, पेट फूलना या अफारा होना। एक बार में पेट साफ ना हो पाना जिससे बार-बार शौचालय जाने की जरूरत महसूस होना। यह इसके इरिटेबल बॉवेल सिंड्रोम (Irritable bowel syndrome) प्रमुख लक्षणों में से है।
इरिटेबल बॉवेल सिंड्रोम के कई कारण हैं। आंत की मांसपेशियों में संकुचन के कारण जब हम भोजन करते हैं तो भोजन को पाचन तंत्र (Digestive System) में भेजने की क्रिया के दौरान ये मांसपेशियां सिकुड़ती हैं, लेकिन जब मांसपेशियां सामान्य से अधिक सिकुड़ जाती हैं तो पेट में गैस बनने लगती है और सूजन आ जाती है जिसके कारण आंत भोजन को पाचन तंत्र में भेज नहीं पाती है। तब व्यक्ति को डायरिया (Diarrhea) होने लगता है और इर्रिटेबल बाउल सिंड्रोम की समस्या हो जाती है। अधिकतर रोगियों में तनाव के समय यह समस्या अधिक रहती है। तनाव होने पर आम तौर पर एड्रिनल ग्रंथियों (Adrenal glands) से एड्रेनैलिन और कॉर्टिसॉल नाम के हार्मोनों का स्राव होता है। तनाव की वजह से पूरे पाचन तंत्र (Digestive System) में जलन होने लगती है जिससे पाचन नली में सूजन आ जाती है और इन सबका नतीजा यह होता है कि पोषक तत्वों का शरीर के काम आना कम हो जाता है।
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इरिटेबल बॉवेल सिंड्रोम का उपचार (Treatment of irritable bowel syndrome) :
आयुर्वेदिक उपचार (Ayurvedic treatment)- बिल्व (Bilva), कुटज (Kutz), चित्रक (Chitrak), हरीतकी (Haritaki), आंवला (Gooseberry), दाड़िम (Dadim), पिप्पली (Pippali), पंचकोल (Panchkol), इन जड़ी बूटियों द्वारा इरिटेबल बॉएल सिंड्रोम का इलाज किया जा सकता है
घरेलू उपचार (Home remedies)-
- फाइबर लें, इससे रोग के लक्षणों में कमी आती है। चोकर युक्त आटा (Bran flour), हरी सब्जियों एवं फलों में फाइबर प्रचुर मात्रा में पाया जाता है।
- IBS रोग में छाछ को अमृत समान गुणकारी माना गया है। एक गिलास ताज़ी छाछ में आधी चम्मच भुना हुआ जीरा पाउडर (Cumin Powder) एवं इतना ही सूखा पिसा हुआ पुदीना पाउडर (Peppermint powder) मिलाकर पीना बहुत ही लाभकारी है।
- ईसबगोल की भूसी 1-2 चम्मच मात्रा दस्त होने पर छाछ तथा कब्ज होने पर गरम दूध के साथ में लेने पर, इरिटेबल बॉएल सिंड्रोम के लक्षणों में बहुत ही फायदेमंद साबित होता है।
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