बलगम एक चिकना, पतला एवं मुलायम पदार्थ होता है जो शरीर में ही पैदा होता है। इसे कफ (Phlegm) भी कहते हैं। इसके गाढ़े हो जाने पर समस्या होती है। आयुर्वेद के अनुसार वात दोष (Gout) के असंतुलन से बलगम (Mucus) की समस्या होती है। पंचकर्म चिकित्सा (Panchakarma therapy) द्वारा बलगम की समस्या से मुक्ति मिलती है। पंचकर्म चिकित्सा में वचा (Vacha), खदिरा (Khadira), वासा (Vasa) आदि जड़ी बूटियों से वमन (Vomit) अर्थात उल्टी करवाई जाती है। एलर्जी, धूम्रपान तथा संक्रमण के कारण भी शरीर में बलगम की समस्या उत्पन्न होती है। बलगम की समस्या से बचने के लिए ठंडे पेय तथा बासी भोजन से दूर रहें। धूम्रपान करने से श्वास संबंधित रोग होते हैं तथा शरीर में बलगम बनने लगता है, अतः धूम्रपान न करें।
यह भी पढ़ें :-
बलगम की आयुर्वेदिक दवा एवं ओषधि :
बलगम (Mucus) के उपचार में हरिद्रा, वचा (vacha), खदिरा (Khadira), अदरक (Ginger) एवं मुलेठी (Muleti) आदि जड़ी बूटियों का प्रयोग किया जाता है।
खदिरा (Khadira)– खदीरा कफ एवं पित्त दोष को कम करती है, और रक्त शोधन (Blood purification) करती है। कफ को कम करने वाली इस औषधि का उपयोग ब्रोंकाइटिस (Bronchitis), खांसी तथा ज़ुकाम में अत्यन्त लाभकारी होता है। इसके गरारे (Gargle) करने से गले के संक्रमण एवं सूजन में राहत मिलती है।
हरिद्रा या हल्दी (Turmeric)– जीवाणु रोधी यह ओषधि टीबी (TB) जैसे संक्रमण में विशेष लाभदायक होती है। टीबी में फेफड़ों में संक्रमण के कारण ज़्यादा कफ (Phlegm) बनने लगता है। हल्दी फेफड़ों से कफ साफ करती है, जिससे पीड़ित को आराम मिलता है। हल्दी का उपयोग काढ़े, अर्क (Extract) या दूध में मिलाकर किया जाता है।
वचा (Vacha)– यह एक कफ निवारक तथा खांसी में आराम देने वाली जड़ी बूटी है, जो श्वसन एवं परिसंचरण तंत्र (Circulatory System) पर कार्य करती है। इसका उपयोग काढ़े, पेस्ट या अर्क के रूप में किया जाता है।
वासा (MalabarNut)– यह अस्थमा (Asthma), खांसी एवं टीबी जैसी बिमारियों की पारंपरिक दवा है। यह श्वसन-तंत्र एवं परिसंचरण तंत्र पर प्रभावी रूप से कार्य करती है। इसका उपयोग रस, काढ़े आदि के रूप में किया जाता है।
मुलेठी (Muleti)– कफ निकालने वाली यह ओषधि स्वाद में कुछ मीठी होती है। अदरक (Ginger) के साथ सेवन करने से यह ज़ुकाम एवं फेफड़ों के रोगों में लाभदायक होती है। इसका उपयोग पाउडर या काढ़े के रूप में किया जाता है।
पीपली (Pippli)– कफ दोष को कम करने वाली यह ओषधि दर्द निवारक भी होती है। यह टीबी, ब्रोंकाइटिस, खांसी जैसे रोगों में फेफडों में बनने वाले बलगम को निकलती है। इसका उपयोग पाउडर, तेल या अर्क के रूप में डॉक्टर के निर्देशानुसार किया जाता है। दशमूलक्वाथ (Dashmooth Decoction), धनवंतरी गुटिका (Dhanvantari pellet) एवं शल्यादी लेह (Shaliadi Leh) भी बलगम को समाप्त करने की प्रभावी औषधि है।
Disclaimer –This content only provides general information, including advice. It is not a substitute for qualified medical opinion by any means. Download ‘AAYUSHBHARAT App’ now for more information and consult a Aayush Specialist sitting at home as well as get medicines.
To Get Consultation Download The AAYUSH BHARAT PATIENT APP :
Click Here
Connect with AAYUSH BHARAT ON :
Twitter, Facebook, Instagram, Website, YouTube, Telegram Channel, Blog, LinkedIn, Quora, WhatsApp
0 Comments