मिर्गी (Epilepsy) एक मस्तिष्क रोग है जिसमें एक मरीज कुछ समय के लिए चेतना खो देता है। मिर्गी मस्तिष्क की कोशिकाओं में असामान्य गतिविधि के कारण होती है, इसलिये ये दौरे मस्तिष्क के किसी भी प्रक्रिया को प्रभावित कर सकते हैं। यह विकार मस्तिष्क में असामान्य विद्युत गतिविधि के कारण होता है जिससे दौरे पड़ते हैं जिसमें रोगी हिंसक रूप से प्रभावित होता है और बेहोश या बहुत भ्रमित हो सकता हैं।
इसके दो मुख्य प्रकार हैं। सामान्यीकृत दौरे पूरे मस्तिष्क को प्रभावित करते हैं। फोकल (Focal), या आंशिक दौरे (Partial Seizures), मस्तिष्क के सिर्फ एक हिस्से को प्रभावित करते हैं। एक हल्के दौरे को पहचानना मुश्किल हो सकता है। यह कुछ सेकंड तक रह सकता है जिसके दौरान आपको जागरूकता की कमी होती है। मजबूत दौरे से ऐंठन (Twitch) और अनियंत्रित मांसपेशियों में गड़बड़ हो सकती है, और कुछ सेकंड से लेकर कई मिनट तक रह सकती है। ऐसे कई कारण हैं जिनसे दौरे पड़ सकते हैं। तेज़ बुखार (High Fever), सिर में चोट (Head Trauma), बहुत कम रक्त शर्करा (Blood Sugar), शराब वापसी। त्रिदोष के खराब होने के कारण यह समस्या उत्पन्न होती है किसी को भी मिर्गी (Epilepsy) का विकास हो सकता है, लेकिन यह छोटे बच्चों और बड़े वयस्कों में अधिक आम है। मिर्गी के कारण को निर्धारित नहीं किया जा सकता है। कई तरह की चीजों से दौरे (Fit) पड़ सकते हैं।
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संभावित कारणों में मस्तिष्क की चोट के बाद मस्तिष्क पर चोट के निशान, गंभीर बीमारी या बहुत तेज बुखार (High Fever), स्ट्रोक (Stroke), जो 35 वर्ष से अधिक उम्र के लोगों में मिर्गी का एक प्रमुख कारण है। मस्तिष्क को पूर्ण रूप से ऑक्सीजन न मिलने पर, ब्रेन ट्यूमर (Brain Tumor) ,मनोभ्रंश (Dementia) जन्म के समय मातृ दवा का उपयोग, जन्म के पूर्व की चोट, मस्तिष्क की विकृति या ऑक्सीजन की कमी, एड्स (AIDS) और मैनिंजाइटिस (Meningitis) जैसे संक्रामक रोग के कारण दौरे पड़ सकते है।
मिर्गी का कोई इलाज नहीं है, लेकिन विकार को दवाओं और अन्य रणनीतियों (Strategies) के साथ नियंत्रित या कम किया जा सकता है।
- मिर्गी रोग में प्राकृतिक शहद के साथ रोजाना 1 ग्राम मीठा झंडा (वाचा) चाटें।
- मिर्गी के लिए प्याज का उपयोग आयुर्वेदिक घरेलू उपचार के रूप में भी किया जाता है। पानी में 2-3 प्याज के अर्क (Onion Extracts) को मिलाएं और 1-2 महीनों के लिए सुबह खाली पेट लें।
- लहसुन को दूध में उबालें और रोजाना लहसुन (Garlic) का दूध लंबे समय तक पिएं। या सरसों के तेल में तलकर रोजाना लहसुन का उपयोग कर सकते हैं।
- मिर्गी के इलाज के लिए कंटकरी (Kantkari) भी सबसे उपयोगी जड़ी बूटी है। इस प्राकृतिक जड़ी बूटी का ताजा रस लें। मिर्गी के दौरे से राहत पाने के लिए रोजाना 2-2 बूंद नाक में डालें।
इन घरेलू उपचार के साथ आयुर्वेदिक में इन पद्धतियो से इलाज किया जाता है।
स्नेहन (Lubrication), स्वेदन (Diapne), वमन (Vomit), विरेचन (Purgation), नास्य (Nasal), बस्ती (Enema) और शिरोधारा शंखपुष्पी (Shirodhara Shankhpushpi), ब्राह्मी (Brahmi), वच (Wach) एवं शतावरी (Asparagus) जड़ी-बूटियों का प्रयोग इस रोग के इलाज के किया जाता है।
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