आयर्वेद मे चिकन पाक्स को मसूरिका (Smallpox) या लघु मसुरिक कहा जाता हैं। मसूर की दाल के दाने की तरह होने के कारण इसे मसुरिका कहा जाता हैं।
मसूरिक (चिकन-पॉक्स) क्या है What is Masurik (Chicken-pox):
यह वेरीसेल्लाजोस्टर (Varicella zoster) वायरस से फैलने वाली एक सक्रांमक बीमारी हैं। इस बीमारी के दौरान संक्रमित व्यक्ति के शरीर पर फुंसियां (Pimples) जैसी चतियाँ हो जाती हैं। इस बीमारी से बच्चे ज्यादा प्रभावित होते हैं।
छोटी माता (चिकन-पाक्स) के कारण Causes of Chhoti Mata (Chicken-Pox):
इसके होने का मुख्य कारण वेरिसेलाजोस्टर (Varicella zoster) वायरल के सम्पर्क मे आना। यह एक प्रकार का हर्पीस वायरस (Herpes virus) हैं। जो एक से दूसरे व्यक्ति मे सक्रमंण से फैलता हैं।
चिकन पोक्स फैलता कैसे हैं (How Chicken Pox Spreads):
- इस बीमारी से पीडित व्यक्ति (Victim) द्वारा इस्तेमाल की जाने वाली वस्तुओं से यह वायरस फैलता हैं।
- यह एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति मे सर्दी फ्लू (Cold flu) और खासी (Cough) के जरिये फैलता हैं।
- बीमारी के दौरान चिकन पोक्स का वायरस फफोले (Blisters) के तरल से सीधे फैलता हैं ऐसे मे अगर कोई फफोले के तरल के सम्पर्क मे आता है तो वह सक्रंमित हो जाता है।
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चिकन–पोक्स के लक्षण (Symptoms of chicken pox): चिकन-पोक्स के लक्षण 7 से 21 दिन मे दिखाई देते है सबसे पहले रोगी को बुखार (fever), खासी (Cough), थकान (Fatigue), भूख न लगना (Loss of Appetite), सिरदर्द (Headache), त्वचा मे जलन खुजली (Itchy Skin Itching) व रैशेज (Rashes) होने लगते है ये रैशेज 2 से 3 दिन मे शरीर पर खुजली के साथ दिखाई देने लगते हैं।
चिकन-पोक्स का आयुर्वेदिक इलाज (Ayurvedic treatment of chicken pox): इसका आयुर्वेदिक इलाज थेरिपी, जडी-बूटी और औषधियों की मदद से किया जाता है।
चिकन-पोक्स का आयुर्वेदिक इलाज थेरिपी या कर्म के द्वारा (Ayurvedic treatment of chicken pox by therapy or karma) :
- वमनकर्म (Vomit): इस कर्म मे रोगी को उल्टी कराई जाती है। अडूसा (Adusa), नीम (Azadirachta Indica), परवल (Pointed Gourd) आदि जडी-बुटीयो की मदद से उल्टी कराई जाती हैं।
- लेपनकर्म (Coating): इसमें रोगी के शरीर पर नीम की पत्तियो ब्राह्मी, मेंहदी की पत्तियों (Rosemary leaves) का पेस्ट बना कर लेपन किया जाता हैं।
चिकन पॉक्स का आयुर्वेदिक इलाज की जड़ी-बूटियाँ (Ayurvedic treatment herbs of chicken pox) :
- हल्दी (Turmeric): इस रोग के उपचार के लिए कच्ची हल्दी का प्रयोग किया जाता हैं। कच्ची हल्दी को पानी के साथ पीस कर मरीज को दूध मे मिलाकर पिलाया जाता हैं।
- गुडूची (Guduchi): यह आयुर्वेदिक ब्लडप्यूरी फायर है इसे त्वचा से सम्बंधित समस्या काम मे लिया जाता हैं।
- नीम (Azadirachta indica): नीम एक प्राकृतिक एंटी-बैक्टीरियल औषधि है जो ब्लड को साफ करती हैं। यह चिकन पोक्स मे होने वाली खुजली मे फायदा करती हैं।
- मंजिष्ठा (Manjistha): यह ब्लड-फ्लो को मजबूर करती हैं। चिकन पोक्स के इलाज के लिए इसका प्रयोग किया जाता हैं।
- मुलैठी (Liquorice): यह कफ, वात-विकारों मे इस्तेमाल किया जाता हैं।
- तुलसी (Basil): तुलसी एक इम्यूनिटी बूस्ट जड़ी-बूटी है|
- करेले का जूस (Bitter gourd juice): करेले के जूस मे हल्दी पाउडर मिलाकर पीने से चिकन पॉक्स मे आराम मिलता हैं|
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