महिलाओं की आम बीमारी कमर दर्द

by | Nov 16, 2020 | Women diseases & Treatments


पीठ दर्द को आयुर्वेद में कटी शूल के नाम से जाना जाता है। कटीशूल (Cutaneous) आयुर्वेद में वह शब्द है जिसके अंतर्गत अनेक बीमारियों का समावेश कर लिया गया है कम पीठ दर्द, साइटिका (Sciatica), स्लिपडिस्क (slip disc) सभी कटी शूल में माने गए हैं। आयुर्वेद के अनुसार बैक पेन या कमरदर्द वात के कारण होता है। वात के कारण जकड़आहट (Stiffness) व सूजन (Swelling ) बढ़ जाती है जिसकी वजह से कमर के निचले हिस्से में दर्द होता है। शारीरिक रचना के अनुसार कमर में स्थित रीढ़ की हड्डी कमर दर्द को प्रभावित होती है। रीड की हड्डी गर्दन से कमर तक होती है। इसमें कशेरुका (Vertebrae) होती है।  प्रत्येक वेर्टेब्रे के बीच में डिस्क होती है। यह डिस्क कशेरुकाओं को आघात से बचाती है। इस रीढ़  की हड्डी में स्पाइनल कॉर्ड (Spinal cord) यानी कि शरीर की सबसे बड़ी नस होती है इससे अनेक नसे निकलकर पैरों में, पूरे शरीर पर जाती हैं। इसके अलावा रीड की हड्डी के चारों तरफ की मांसपेशियां और अनेक लिगामेंट्स (Ligaments) होते हैं। इनमें से किसी भी भाग में यदि कोई समस्या हो तो बैक पेन (Back pain) का रूप ले लेती है। आजकल LBP (Lower back pain) की समस्या सबसे अधिक व्यापक हो गई है। यह हर आयु के व्यक्ति को हो सकता है किंतु यह देखा गया है कि प्रौढ़ावस्था (Maturity) यानी कि 40 साल के बाद यह अधिक देखा गया है। पुरुषों  की अपेक्षा महिलाओं में  ज्यादा होता है। महिलाओं में 38 से 40 वर्ष की अवस्था के बाद में होता है। इसके अलावा मीनोपॉज (Menopause) या रजोनिवृत्ति के बाद महिलाओं में ज्यादातर शिकायत कमर दर्द की होती है।

आयुर्वेद के अनुसार कमर दर्द का कारण (According to Ayurveda the cause of back pain):

  1. आयुर्वेद के अनुसार सभी प्रकार की पीड़ा या वेदना का कारण बात होती है। वायु के बिना कभी भी दर्द नहीं होता है। वात वर्धक (Wind booster) आहार, रूक्ष (रुखा) या शीतल अन्न पान (Cold food) या ठंडा पानी, ठंडा भोजन, मूंग, चने, जो, मटर, बैंगन, भिंडी, इमली जैसे खट्टे द्रव्यों (Sour substances) का बार बार प्रयोग करना या वात बनाने वाली जीवन शैली जैसे शक्ति से अधिक काम करना, रात्रि जागरण, रात को जागना,  ठंड लगना आदि से वात का प्रकोप जाता है यह बात है। प्रकुपित वायु (Featured air) को न केवल कमर में दर्द उत्पन्न करती है कई बार पूरे शरीर तथा शरीर के अन्य जोड़ों में भी दर्द को उत्पन्न करती है।
  2. कब्जियत( Constipation) कब्ज की वजह से या गैस जब बनती है या अजीर्ण (भोजन के नहीं के पचने की वजह से कमर दर्द होता है।
  3. गलत मुद्रा आज के समय की बात करें तो कमर दर्द (Back pain) का कारण में से सबसे बड़ा कारण बेड पोस्टर है। आजकल लोग वर्क -फ्रॉम -होम के कारण सारा दिन कंप्यूटर पर काम करते हैं जिससे कि लगातार एक ही स्थिति में बैठने कामांसपेशियों में खिंचाव(Muscle spans) होता है और कमर की मांसपेशियों में खिंचाव होने से कमर में जकड़ाहट व दर्द उत्पन्न होता है।
  4. चोट लगने या भारी वजन उठाने से 67% रोगियों में एकदम भारी वजन उठाने अथवा चोट लगने के कारण डिस्क जो कि कार्टिलेज (Cartilage) से बनता है वह खिसक जाती है इस पर दबाव पड़ता है जिससे पीठ दर्द होता है सामान्य भाषा में इसको स्लिप डिस्क (slip disc) भी कहा जाता है।
  5. स्त्रियों में होने वाले  बैक पेन के कारण मुख्यतः डिलीवरी के पश्चात या प्रसव के पश्चात यह देखा गया है कि जो महिलाएं उचित खानपान का पालन नहीं करती हैं उनमें वायु दूषित हो जाती है। प्रसव के बाद महिला का शरीर में वात का प्रकोप आसानी से हो सकता है। अतः महिलाओं के लिए आवश्यक है कि घर की बड़ी महिलाओं की पुरानी बातें जैसे, सोंठ अजवाइन का सेवन और निवात  स्थान ऐसा स्थान जहां पर बाहरी हवा नहीं आती है वहां पर रहे इससे वात का प्रकोप ना होगा और गर्म चीजें और गर्म स्थान वात का प्रकोप नहीं होने देती हैं।
  6. गर्भावस्था (Pregnancy): लगभग 50% महिलाओं को गर्भावस्था के दौरान पीठ दर्द की समस्या रहती है। गर्भावस्था में भारी वजन उठाने या आगे की ओर ज्यादा झुकने। लगातार एक ही आसन में खड़े होने की वजह से कमर पर दबाव पड़ता है।
  7. अनियमित मासिक धर्म (Irregular menstrual cycle) कटी शूल का अनियमित मासिक धर्म भी कारण है। मासिक धर्म (periods) के समय से पहले आना या मासिक धर्म के 1 या 2 दिन  रहना या रुक- रुक कर मासिक स्राव होना या महिलाओं को  मासिक धर्म (Pre menstrual syndrome) पीरियड्स के आने से पहले भी बैक पेन  शुरू हो जाता है।
  8. ल्यूकोरिया या (Vaginitis) या श्वेत प्रदर श्वेत प्रदर की स्थिति में अधिकांश महिलाओं को भी कमर दर्द झेलना  पड़ता है अधिक समय तक लगातार योनि में सफेद स्राव के कारण महिलाओं में दुर्बलता बढ़ जाती है जिससे रुक्षता बढ़ जाती है। योनि में खुजली उत्पन्न हो जाती है और वात का प्रकोप होता है  प्रकुपित वायु कमर दर्द  उत्पन्न करती है। कुछ महिलाओं में योनि संक्रमण के कारण कमर दर्द होता है। वागिनिटिस का कारण पोषक तत्वों की कमी या रोग प्रतिरोधक क्षमता की कमी,  मधुमेह (Diabetes)| जननांगों की स्वच्छता और स्वास्थ्य के प्रति लापरवाही (Unhygienic Habits) है। अनेक महिलाएं लज्जा  के कारण चिकित्सक की सलाह नहीं लेती है जिससे जीवाणु, बैक्टीरिया और विषाणु का संक्रमण होकर प्रदर (Leucorrhoea) उत्पन्न होता है। पुरीष या मूत्र  के वेग को धारण से- प्राकृतिक वेग पुरीष (मल ) या मूत्र (यूरिन) के वेग  को रोकने से मूत्राशय व मलाशय का दबाव कमर पर पड़ता है वदर्द उत्पन्न होता है। ग्रध्रसी (Sciatica) वात के कारण ग्रध्रसी नाड़ी में वात प्रकोप होने से दर्द होता है जो कमर से होता हुआ पैरों तक जाता है।
  9. PCOD महिलाओं में अंडे इसका साइज यदि बहुत बढ़ जाता है तो बैक पेन भी होता है।
  10. पोषणा अभाव या खून की कमी
  11. तनाव- अनेक महिलाएं अपनी घरेलू समस्याओं से निरंतर जूझती रहती है जिससे तनावग्रस्त (Stressed) हो जाती हैं। कई बार अधिक चिंता के कारण उनका तनाव बहुत बढ़ जाता है चिंता और तनाव यह दोनों कारण वायु को प्रभावित करते हैं वह प्रकोपित वायु कटी (Furious cut off) प्रदेश में अवस्थित होकर वहां वेदना उत्पन्न करती है और डिप्रेशन (depression) से नाड़ी संस्थान (नर्वस सिस्टम) पर प्रभाव पड़ता है जिसके फलस्वरूप सिरदर्द, पूरे शरीर में दर्द और कटी ग्रह व अन्य वात विकार उत्पन्न हो जाते हैं।

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रहूमटॉइड आर्थराइटिस (Rheumatoid arthritis) में शरीर के अन्य जोड़ों के साथ-साथ कमर में भी जकड़ आहट व दर्द शुरू हो जाता है। क्रॉनिक डायरिया (Chronic diarrhea) या जीनत इशारे अमीबायसिस कहीं लोग जिनको बार बार मल का वेग आता है या बार-बार दस्त जाना पड़ता है धूल के साथ आप भी आता है उनको बैक पेन की समस्या रहती है|

वात रोगों का आयुर्वेदिक उपचार (Ayurvedic treatment of gout): आयुर्वेदिक पंचकर्म उपचार वात रोगों की सबसे उत्तम चिकित्सा गई है, जिसमें वात की उत्तम चिकित्सा तेल है तथा उष्ण गुण यानी गर्म चीजों का सेवन व गर्म सेक वात को शांत करता है। आयुर्वेद के अनुसार गर्म तेल की मालिश व गर्म सेक वात  को तुरंत शांत करता है।

कटी वस्ति (Cut off)- तेल को आयुर्वेदिक जड़ी बूटियों में पकाया जाता है। इन जड़ी-बूटियों के प्रभाव से वह तेल वात का शामक हो जाता है, वह पीड़ा को कम करने वाला हो जाता है, कटी बस्ती चिकित्सा में कमर पर उड़द के आटे का घेरा बनाकर उस उस घेरे में आयुर्वेदिक तेल को गर्म करके भरा जाता है, बार-बार तेल को बदला जाता है, ऐसा 20 से 25 मिनट तक कई दिनों तक किया जाता है तेलों में क्षीर बला तेल (Alkaline oil), महानारायण तेल (Mahanarayan oil),  विषगर्भ तेल (Poison oil) का प्रयोग किया जा सकता है। स्वेदन (diapne) का अर्थ सेक है।  सेक या भाप सेक। भाप के लिए पानी में दशमूल क्वाथ (Dashmulath), निर्गुंडी पत्र (Nirgundi letter), या एरंड पत्र (Cast sheet) के काढ़े  का प्रयोग करते हैं।

पत्र पिंड स्वेदा (Letter body sveda)- वात  के कारण होने वाले दर्द में यदि जकड़न भी साथ है तो पत्र पिंड स्वेद किया जाता है। इसमें आयुर्वेदिक औषधियों के पत्तों की पोटली को को बनाकर उसको तेल में डूबा कर कमर का सेक किया जाता है।

वस्ति  चिकित्सा (Medical treatment)- जितने भी वातरोग हैं वह 50% केवल बस्ती (Enema) से ही ठीक हो जाते हैं। तेल विशेष प्रकार की औषधियों से निर्मित काढ़े को गुदा मार्ग से शरीर के अंदर प्रवेश कराया जाता है। पंचकर्म की सभी प्रक्रियाएं किसी आयुर्वेदिक चिकित्सक के संपर्क करके किसी पंचकर्म चिकित्सा केंद्र पर करवाई जा सकती हैं इनमें से एक या दो थेरेपी एक साथ करने पर लाभ होता है कब्ज़ (Constipation) होने पर अरंड के तेल का सेवन करना चाहिए। इसके अतिरिक्त अनेक आयुर्वेदिक औषधियां जैसे अश्वगंधा चूर्ण, योगराज गुग्गुल (Yograj Guggul), अश्वगंधारिष्ट (Ashwagandharishta), बालारिष्ट दशमूलारिष्ट (Dashmularishta) कमर दर्द में फायदा करते हैं। साथ में थी वह हल्दी व सोंठ व मेथीदाना के चूर्ण को समान मात्रा में एक-एक चम्मच सुबह शाम लेने से  तुरंत आराम मिलता है।

Dr Neha
Compiled By:
Dr. Neha Ahuja
(BAMS, NDDY, DNHE)

Disclaimer –This content only provides general information, including advice. It is not a substitute for qualified medical opinion by any means. Download ‘AAYUSHBHARAT App’ now for more information and consult a Aayush Specialist sitting at home as well as get medicines.

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