निमोनिया: आयुर्वेदिक दवा एवं उपचार

by | Nov 16, 2020 | Health Tips & Treatments

निमोनिया फेफड़ों में होने वाला एक संक्रमण है, जिसका कारण बैक्टेरिया (Bacteria) या वायरस होता है।

लक्षण (Symptoms):

निमोनिया से पीड़ित व्यक्ति में ठंड (Cold), बुखार (Fever), खांसी (Cough), सीने में दर्द (Chest pain) एवं सांस लेने में परेशानी आदि लक्षण दिखाई देते हैं।

निमोनिया के प्रकार (Types of pneumonia):- निमोनिया के निम्न प्रकार हैं।

  1. बैक्टीरियल निमोनिया (Bacterial pneumonia)– इसका कारण स्ट्रेप्टोकॉक्कस निमोना (Streptococcus pneumoniae) नामक एक जीवाणु होता है, जो बुढापे या कमजोरी एवं बीमारी की स्थिति में निमोनिया का कारण बनता है।
  2. वायरल निमोनिया (Viral pneumonia)- इन्फ्लूएंजा (Influenza) नामक वायरस के कारण भी निमोनिया होता है।
  3. फंगल निमोनिया (Fungal pneumonia)– फंगस (Fungus) के कारण भी निमोनिया होता है।
  4. माइको प्लाज्मा निमोनिया (Mico plasma pneumonia)– इसका कारण माइको प्लाज्मा (Mycoplasma) होता है।
  5. एस्पिरेशन निमोनिया (Aspiration pneumonia)– यह धूलया किसी संक्रमित तरल पदार्थ के सेवन से होता है।

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आयुर्वेदिक दवा (Ayurvedic medicine)–

इसके उपचार में कुटज (Kutz), भृंगराज (Bhringraj), वासा (Vasa), आमलकी (Amalki), तिल (Mole), गुडूची (Guduchi) आदि दवाओं एवं गोरोचनादि (Gorochanadi), सुदर्शन चूर्ण (Sudarshan Churna), संजीवनीवटी (Sanjeevani vati) जैसी ओषधियों का प्रयोग किया जाता है। इसके अतिरिक्त वमन वलंघन जैसी विधियों का भी निमोनिया के उपचार में विशेष महत्व है।

  1. आमलकी (Amalki)- आमलकी अर्थात आंवला (Gooseberry) फेफड़ो की सूजन को कम करता है। आंवला विटामिन सी का सबसे बड़ा स्रोत होने के कारण Pneumonia से हुए फेफड़ों के संक्रमण में राहत देता है।
  2. कुटज (Kutz)– कुटज एक जीवाणु रोधी जड़ी बूटी है इस कारण (Pneumonia) में इसका उपयोग लाभदायक सिद्ध होता है।
  3. वासा (Vasa)- यह विशेष रूप से श्वसन संबंधित रोगों में उपयोगी है। खांसी, अस्थमा एवं निमोनिया में अत्यंत उपयोगी साबित होती है।
  4. गुडूची (Guduchi)– गुडूची में ज्वर रोधी (Antipyretic), सूजनरोधी एवं प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने वाले गुण होते है जिस कारण इसका उपयोग निमोनिया में लाभदायक सिद्ध होता है। इसका उपयोग रस के रूप में किया जाता है।
  5. भृंगराज (Bhringraj)– यह एक शक्ति वर्धक (Power enhancer), ऊर्जा दायक (Energy supplier) ज्वर रोधी (Antipyretic) जड़ी बूटी है जो प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाती है। इसके के उपचार में इसे काढ़े या तेल के रूप में प्रयोग किया जाता है।
  6. तिल (Mole)– यह जीवाणु रोधी होने के कारण यह फेफड़ों के संक्रमण को नियंत्रित करती है। इस गन के कारण तिल (Mole) का उपयोग निमोनिया जैसी श्वसन संबंधित बीमारियों में लाभदायक है।

निमोनिया में लाभकारी ओषधियाँ (Beneficial medicines in pneumonia) :

गोरोचनादि वटी (Gorochanadi vati)-

गोरोचनादि वटी (Gorochanadi vati)- इसे कालमेघ, अदरक, हिरन के सींग एवं गिलेन से तैयार किया जाता है। Pneumonia में लाभदायक इस औषधि का प्रयोग शहद के साथ किया जाता है।

संजीवनीवटी (Sanjeevani vati)-

संजीवनीवटी (Sanjeevani vati)- शुंठी (Shunthi), पिप्पली (Pippali), गुडूची (Guduchi), वासा (Vasa), आमलकी (Amalki) एवं हरीतकी (Haritaki) द्वारा निर्मित यह औषधि ज्वर रोधी (Antipyretic) होने के कारण Pneumonia में लाभकारी सिद्ध होती है। इसे शहद के साथ लिया जाता है।

सुदर्शनचूर्ण (Sudarshan Churna)–

सुदर्शनचूर्ण (Sudarshan Churna)– 48 जड़ी बूटीयों से निर्मित इस औषधि में मुख्य रूप से चिरायता (Salicy) का उपयोग किया जाता है। यह ज्वररोधी होने के कारण Pneumonia में लाभकारी सिद्ध होती है।

 

 

Dr Neha
Compiled By: Dr. Neha Ahuja
(BAMS, NDDY, DNHE)

 

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