इसे स्तंभन दोष के नाम से भी जाना जाता है। स्तंभनदोष (Erectile Dysfunction) के कई कारण हो सकते हैं जैसे तनाव, डायबिटीज़, कैंसर, शराब का सेवन एवं धूम्रपान आदि। इस रोग में पीड़ित व्यक्ति के लिंग के आकार में वृद्धि नहीं होती एवं वह सेक्स में असफल रहता है।
स्तंभन दोष से मुक्ति के लिए आयुर्वेद में विभिन्न ओषधियां प्रयोग में लाई जाती है जैसे कि-
अश्वगंधा (Ashwagandha)–
यह तन्त्रिका तन्त्र, श्वसन तंत्र एवं प्रजनन अंगों (Reproductive Organs) पर कार्य करती है। यह ऊर्जा दायक, कामोत्तेजक एवं शुक्राणु बढ़ाने वाली औषधि है जो स्तंभन दोष में लाभदायक सिद्ध होती है। इसे पाउडर, तेल या घी के रूप में प्रयोग किया जाता है।
गोक्षुरा (Gokshura)–
Gokshura यह प्रजनन एवं तंत्रिका तंत्र पर कार्य करती है। यह एक कामोत्तेजक (Erotic) एवं शुक्राणु (Sperm) बढ़ाने वाली औषधि है। यह शरीर में एकत्रित विषैले पदार्थों को मूत्र मार्ग से बाहर निकाल कर शरीर को शक्ति प्रदान करती है, जिससे स्तंभन दोष को ठीक करने में लाभदायक सिद्ध होती है।
शिलाजीत (Shilajit)–
यह भी एक प्रबल कामोत्तजक ओषधि है जो पुरूषों में स्तंभनदोष को दूर करने में लाभदायक सिद्ध होती है। इसका उपयोग शिलाजीत के साथ भी किया जाता है। इसके अतरिक्त पाचनतंत्र एवं तंत्रिका तंत्र पर भी इस ओषधि का प्रयोग किया जाता है।
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शतावरी (Asparagus)–
यह ओषधि पाचन, श्वसन एवं परिसंचरण तंत्र (Circulatory System) के साथ ही प्रजनन तंत्र एवं भी कार्य करती है। यह कामोत्तेजक एवं पुरुष तथा महिला दोनों पर कार्य करने वाली औषधि है। यह भूख बढ़ाने में भी सहायक होती है। इसका उपयोग काढ़े, तेल, घी या पाउडर के रूप में किया जाता है।
च्यवनप्राश (Chyawanprash)–
मिश्रण के रूप में प्रयोग होने वाली इस औषधि में पिपली (Peepli), गुडुची (Guduchi), अश्वगंधा (Ashwagandha), शहद (Honey), तिल (Mole), आमलकी (Amalki), पुन्नर्नवा (Reincarnation), चन्दन (Indian sandalwood) आदि का उपयोग किया जाता है। प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने वाली यह ओषधि भूख बढ़ाने हीमोग्लोबिन बढ़ाने में भी सहायक होती है। शारीरिक कमजोरी स्तंभन दोष का एक मुख्य कारण है, जिससे यह ओषधि स्तंभन दोष के निवारण हेतु भी सहायक होती है। इसका उपयोग दूध केसाथ किया जाता है।
दशमूलारिष्ट (Dashmularishta)–
यह ओषधि आमलकी (Amalki), गुडुची (Guduchi), चन्दन (Indian sandalwood), भांगकी (Hemp), शहद (Honey), कुस्ता (Chestnut), दश्मूल (Dashmool), पिपली (Peepli), हरिद्रा (Haridra) एवं कुलंजन (Kulhanjan) से निर्मित होती है। यह जीवन शक्ति को बढ़ाती है एवं स्तंभन दोष के निवारण में सहायक सिद्ध होती है।
सुकुमारघृत (Sukumar Ghrita)–
यह औषधि दाशमूल (Dashmool), अरंडी (Castor), शतावरी (Asparagus), अश्वगंधा (Ashwagandha), पिपली (Peepli), शुंठी (Shunthi), मुलैठी (Liquorice), गुड़, घी एवं शहद से बनाई जाती है। यह ओषधि पाचन शक्ति बढ़ाने वाली है और शरीर को शक्ति प्रदान करती है। प्रजनन संबंधित रोगों जैसे स्तंभनदोष में भी प्रभावी रूप से कार्य करती है।
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