खुजली की आयुर्वेदिक दवा एवं उपचार पद्धतियां

by | Nov 16, 2020 | Health Tips & Treatments

त्वचा में जलन का अनुभव देकर उसे खुजाने को प्रेरित करने की अवस्था को खुजली (itching) कहते है। खुजली किसी विशिष्ट स्थान अथवा पूरे शरीर पर हो सकती है। सामान्यतः शुष्क त्वचा एवं अधिक उम्र खुजली के कारण होते हैं। इसके अतिरिक्त दाद (Ringworm), सोरायसिस (Psoriasis), विषाक्त पदार्थों का सेवन, कीटों के दंश (Insect bites) तथा किन्हीं औषधियों का विपरीत प्रभाव भी खुजली का कारण बन सकते हैं। आयुर्वेद में खुजली के उपचार हेतु कई पद्धतियों का वर्णन मिलता है जैसे पंचकर्म (Panchakarma), वमन (Vomit), विरेचन (Purgation) एवं रक्तमोक्षण। सोरायसिस के कारण होने वाली खुजली के उपचार हेतु कई औषधीय पादपों जैसे नीम (Azadirachta indica), हरिदा, खदिरा, आदि से निर्मित आरोग्यवर्धिनी वटी एवं मंजिष्ठादि क्वाथ का विवरण आयुर्वेद में मिलता है। सुपाच्य भोजन, रेशेदार सब्जियां और फल ,नियमित व्यायाम, धूप का सेवन खुजली के उपचार में महत्व रखता है। खुजली में खट्टे एवं नमकीन पदार्थों के सेवन से बचना चाहिए। अधिक मात्रा में भोजन, मौसम में अचानक बदलाव, मछ्ली एवं दूध का साथ-साथ सेवन ऐसे कारक हैं, एक्ज़ीमा(दाद) का कारण बनते हैं जिससे खुजली होती है। आयुर्वेद में सोरायसिस से होने वाली खुजली के निवारण हेतु तथा त्वचा की सफाई के लिये पंचकर्म का उल्लेख मिलता है।

खुजली के उपचार की आयुर्वेदिक पद्धतियां (Ayurvedic methods of treatment of scabies)

वमन (Vomit): इस पद्वति में ऐसी औषधियों का सेवन करवाया जाता है जिनसे पीड़ित व्यक्ति को वमन की इच्छा जागृत होती है। इस पद्वति से शरीर में उपस्थित विषाक्त पदार्थों, अतिरिक्त पित्त (Extra bile) एवं कफ़ का वमन द्वारा निकास होता है। वमन से 24 घण्टे पूर्व पीड़ित को दूध, वसायुक्त भोजन, दही एवं मांस युक्त भोजन दिया जाता है। नीम (Azadirachta indica), चित्रका एवं करंजा (Karanja) आदि औषधियों का उपयोग वमन में किया जाता है। एकाकुष्ठ (Psoriasis) रोग के कारण होने वाली खुजली में विशेष रूप से वमन का प्रयोग किया जाता है।

विरेचन (Purgation) : यह पद्वति प्रमुखतया आहारनाल संबंधित समस्याओं, दमा (Asthma), पीलिया (jaundice), मिर्गी एवं चर्मरोगों के उपचार में प्रयुक्त होती है। इस पद्धति में रेचक औषधियों के प्रयोग से शरीर में उपस्थित विषैले पदार्थों (Toxic substances) तथा अतिरिक्त पित्त का मलमार्ग द्वारा निष्कासन किया जाता है। विरेचन पद्वति में औषधियों का निर्धारण व्यक्ति के शरीर की प्रकृति के आधार पर किया जाता है। विरेचन द्वारा शरीर के अतिरिक्त वात ,पित्त, कफ़ एवं मल का निष्कासन किया जाता है। विरेचन के बाद व्यक्ति शरीर मे एक हल्कापन अनुभव करता है।

रक्तमोक्षण (Hemorrhage) : इस पद्धति में धातु के औजार (Metal tools), जोंक (Leech) एवं गाय के सींग (cow horn) का प्रयोग किया जाता है। इस विधि द्वारा रक्त में उपस्थित विषैले पदार्थों का रक्तप्रवाह से निष्कासन किया जाता है। इस विधि का प्रयोग दाद (Ringworm), लाल चकत्ते (Red spots), सफेद दाग (White Spot) तथा सोरायसिस (Psoriasis) के कारण होने वाली खुजली में किया जाता है।

लेप (Coating): ये गाढ़े ओषधीय द्रव होते हैं। जिनका प्रयोग त्वचा के प्रभवित भागों पर बालों के विपरीत दिशा में किया जाता है। लेप तीन प्रकार के होते हैं, विषघना (Detoxification), दोषघना (Deterrent) तथा वर्ण मुखलेप ।

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आयुर्वेदिक दवा एवं ओषधीय पादप (Ayurvedic medicine and medicinal plants):

खदिरा (Khadira), नीम (Azadirachta indica), हरिद्रा (Haridra), दारुहरिद्रा (Alcoholism) तथा मंजिष्ठा (Manjistha) खुजली के उपचार में प्रयुक्त होने वाले प्रमुख पादप हैं।
गंधक रसायन (Gandhak Rasayan): इस दवा में पिपली (Peepli), शुंठी (Shunthi), मरीचा (Maricha), घी (Ghee), शहद (Honey), इलाइची (Cardamom) एवं गंधक (Sulfur) का प्रयोग किया जाता है जिससे रक्तशुद्धी (Blood purifier) एवं खुजली (itching) का उपचार किया जाता ह।
आरोग्यवर्धिनी वटी (Arogyavardhini Vati): इस दवा में नीम (Azadirachta indica), त्रिफला (Triphala), अभ्रक भस्म (Asbestos ash), एवं ताम्रभस्म (Copper) का प्रयोग किया जाता है जिससे वात (Air), पित्त (Bile) एवं कफ़ (Phlegm) का नियमन किया जाता है।
मंजिष्ठादि क्वाथ (Manjisthadi kath): यह दस औषधियों का मिश्रण है जिनमें हरिद्रा (Haridra), गुडूची (Guduchi), नीम, वच, मंजिष्ठा (Manjistha) एवं त्रिफ़ला (Triphala) प्रमुख हैं। इसका उपयोग दाद(Ringworm), मधुमेह (diabetes) तथा जोडों के दर्द (Joint pain) में किया जाता है।

संदर्भ (The reference):

  1. ओषधिकाश्य चूर्णम एवं सूक्ष्म चूर्णम (केरल सरकार) (Oshdhikashya churnam and micro churnam, Government of Kerala )
  2. नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ इंडियन मेडिकल हेरिटेज (National Institute of Indian Medical Heritage)
  3. द इंडियन मेडिकल प्रैक्टिशनर कोऑपरेटिव फार्मेसी एंड स्टोर्स मद्रास (The Indian Medical Practitioner Cooperative Pharmacy And Stores Madras)

Dr Neha
Compiled By: Dr. Neha Ahuja
(BAMS, NDDY, DNHE)

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