एक्जिमा एक तरह चर्म रोग है। शरीर में जिस भी स्थान पर एक्जिमा होता है वहां बहुत अधिक खुजली (itching) होती है। यह सामान्य खुजली से अलग होता है। खुजली करते-करते कभी-कभी खून भी निकल आता है। एक्जिमा त्वचा रोगों में होने वाली सबसे आम समस्या है। एक्जिमा होने पर शरीर में तेज खुजली (itching) आती है और शरीर पर लाल चकत्ते (Red spots) पड़ने लगते हैं। यह रोग वंशानुगत रूप से भी होता है।
एक्जिमा के लक्षण (Symptoms of eczema):
- बहुत खुजली होना।
- खुजाने से त्वचा पर लाल चकत्ते, एवं छोटी-छोटी फुंसिया उभर जाना।
- तेज खुजली होने पर खुजलाने से खून भी निकलने लगता है।
- त्वचा पर जलन होना।
- चिड़चिड़ापन एवं अवसाद।
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एक्जिमा के कारण (Causes of eczema):
- एक्जिमा का सटीक कारण अभी तक ज्ञात नहीं है, लेकिन माना जाता है कि यह अनुवांशिक (Genetic) तथा वातवरणीय (Environmental) एवं पर्यावरणीय (Environmental) कारणों से होता है। देखा जाता है कि माता-पिता या माता-पिता में से किसी एक को एक्जिमा रोग है, तो यह संतान को भी प्रभावित करता है।
- बैक्टीरियल संक्रमण (Bacterial infection) के कारण भी एक्जिमा होता है। यह मुख्यतः स्टेफिलोकोकस ऑरियस (Staphylococcus aureus) नामक बैक्टीरिया के कारण होता है। किसी प्रकार की एलर्जी के कारण जैसे- मोल्ड (Mold), पराग कण (Pollen grain), घरेलू जानवरों के संपर्क में आने या धूल-मिट्टी के संपर्क में आने के कारण भी हो सकता है।
- ठंडे और गर्म तापमान में तुरन्त जाना, या नमीयुक्त और आर्द्रतायुक्त (Humidified) वातावरण के सम्पर्क में आने से भी हो सकता है।
- किसी विशेष खाद्य पदार्थ के प्रति एलर्जी होना।
- निकेल या कॉपर जैसी धातुओं के आभूषण पहनना।
- तनाव भी एक कारण है। आमतौर पर तनाव एक्जिमा (Eczema) के लक्षणों को और बढ़ा देता है।
- साबुन या डिटर्जन्ट के कारण।
- महिलाओं में हार्मोन में उतार-चढ़ाव के कारण भी एक्जिमा होता है।
- महिलाओं में अक्सर मासिक धर्म (Menstrual) और गर्भावस्था के दौरान एक्जिमा के लक्षण और तेज हो जाते हैं।
एक्जिमा का घरेलू इलाज (Home remedies for eczema):
- नारियल तेल में कच्चे कपूर (Raw camphor) को अच्छी प्रकार मिलाकर प्रभावित स्थान पर लगाएँ। नारियल तेल का इस्तेमाल बहुत फायदेमंद होता है।
- शहद में एंटी-इंफ्लामेंटरी (Anti-inflammatory) गुण होते हैं। इसे खुजली वाले प्रभावित स्थान पर लगाकर आधे घण्टे के लिए छोड़ दें। इसके बाद ठण्डे पानी से धो लें।
- एलोवेरा (Aloe vera) भी एंटी-इंफ्लामेंटरी) गुणों से भरपूर है, ये इलाज में मदद करता है। ताजे एलोवेरा के पत्तों गुदा निकालकर प्रभावित स्थान पर लगाएँ।
- हल्दी में एंटी-बैक्टीरियल और एंटी-इंफ्लामेंटरी (Anti-inflammatory) गुण होते हैं। हल्दी में गुलाब जल मिलाकर प्रभावित स्थान पर लगाएँ।
- तुलसी में मौजूद एंटी-माइक्रोबियल गुण (Anti-microbial properties) त्वचा को संक्रमण से छुटकारा दिलाता है, और खुजली और जलन को शान्त करता है। तुलसी के पत्तों का रस निकालकर प्रभावित स्थान पर कुछ देर लगे रहने के बाद पानी से धो लें।
- त्रिफला और गिलोय (Giloy) की छाल को लेकर दो गिलास पानी में उबालें। इसमें नींबू मिलाकर दिन में तीन बार पिएँ।
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