वर्टिब्राके (Vertibrake) नीचे या ऊपर से दबाव पड़ने पर दोनों वर्टिब्राके बीच स्थित कुशन को पहुंचे नुकसान के कारण दर्द की स्थिति को स्लिप डिस्क (Slip disc) कहते हैं। दर्द (Pain), सुन्नपन (Numbness) व झनझनाहट (Sensation) स्लिप डिस्क के प्रमुख लक्षण हैं। आयुर्वेद में स्लिप डिस्क के उपचार में स्नेहन (Applying oil), स्वेदन (diapne), मालिश, शिरोधारा (Shirodhara), नास्य (Nasal medicine), बस्ती (Enema) आदि विधियों का प्रयोग किया जाता है। स्लिप डिस्क के उपचार में अश्वगंधा (Ashwagandha), शुंधि (Shundhi), रसना (Ooze), गुडूची (Guduchi), दशमूलक्वाथ (Dashmulath) आदि ओषधियों का उपयोग किया जाता है।
शुंधि (Shundhi)– यह दर्द निवारक ओषधि है जो पाचन तंत्र (Digestive System) की समस्याओं में भी कारगर साबित होती है। यह दर्द एवं ऐंठन से राहत दिलाती है तथा अर्क, पाउडर, काढ़े आदि के रूप में इस्तेमाल किया जाता है।
रसना (Ooze):- यह शरीर में गर्मी एवं भारी पन को कम करती है। कड़वे स्वाद की होती है तथावात संबंधित रोगों जैसे स्लिप डिस्क (Slip Disc) में बेहद असरदार होती है। इसे गुनगुने पानी के साथ उपयोग में लिया जाता है।
अश्वगंधा (Ashwagandha):- यह ऊर्जा देने वाली, नसों को शान्त करने वाली, शामक (Soporous), शक्ति वर्धक (Power enhancer) तथा कामोत्तेजक (Erotic) ओषधि है । अश्वगंधा (Ashwagandha) उतकों को मजबूती प्रदान करती है तथा दर्द निवारक का काम करती है इसी कारण इसे स्लिप डिस्क में उपयोगी माना जाता है।
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गुडूची (Guduchi):- यह पाचन तंत्र (Digestive System) एवं परिसंचरण तन्त्र पर कार्य करती है। यह प्रतिरोधक क्षमता (buffering capacity) बढ़ाकर रक्त शोधन (Blood purification) करती है। स्लिप डिस्क के उपचार में प्रमुख ओषधियों के साथ इसका सहायक ओषधि के रूप में प्रयोग किया जाता है।
दशमूलक्वाथ (Dashmulath):- इस तरल मिश्रण में शालीपर्णी (Cipher), गोक्षुरा (Gokshura), कष्मारी (Kashmari), अग्निमांथ (Agnimanth) तथा प्रश्नपर्णी (Prishniparni )आदि ओषधियाँ होती हैं। इसका उपयोग गर्दन और कमर (back) की अकड़न के साथ अस्थमा में भी किया जाता है। वात दोष के निवारण में प्रयुक्त होने के कारण इसका उपयोग स्लिप डिस्क में भी किया जाता है।
वृहत वात चिंतामणि रस (Great Vata Chintamani Ras):- सुवर्ण (Gold), रौप्य (Silver), अभरक (mica), लौह एवं मूंगे की भस्म (Coral ash) को अलॉय वेरा (Aloe Vera) में मिलाकर इस ओषधि को बनाया जाता है। वात दोष में उपयोगी होने के कारण इसे संधिवात एवं स्लिप डिस्क में प्रयोग किया जाता है।
त्र्योदशांगगुग्गुल (Trayodashang Guggul):- इस मिश्रण में शुंठी (Shunthi), शतावरी (Asparagus), गुडूची (Guduchi), घी (Ghee), एवं रसना का प्रयोग किया जाता है जिससे टेंडन (Tendon) एवं लिगामेंट्स (Ligaments) के विकारों में लाभ मिलता है। दर्द, सूजन तथा अकड़न कम करने के गुणों के कारण इसका उपयोग स्लिप डिस्क (Slip Disc) में लाभदायक सिद्ध होता है।
ये करें (Do this) :-
- भुजंगासन (Bhujangasana), अर्धचंद्रासन, उष्ट्रासन (Ustrasana) करें।
- गर्म पानी से नहाएं।
- सही ढंग से बैठें।
ये ना करें (Don’t do it):-
- गरिष्ठ भोजन न करें।
- ठंडे पेय न पीयें।
- भोजन के बाद कोई भारी काम न करें।
- गतिहीन अथवा सुस्त जीवन शैली न अपनाएं।
- ठंडे तापमान या air conditioner से बचें।
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